Vantara news : लुप्तप्राय प्रजातियों के ट्रेड की निगरानी करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था CITES ने उज्बेकिस्तान में 79वीं स्थायी समिति की बैठक से पहले सितंबर में भारत के दौरे के बाद वंतारा में पशु-देखभाल मानकों और भारत के नियामक ढांचे की मजबूती की प्रशंसा की है। CITES ने वंतारा पर जारी अपनी रिपोर्ट में इसके उन्नत बुनियादी ढांचे, पशु चिकित्सा सुविधाओ और वंतारा की दो इकाइयों (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर और राधा कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट)में अपनाए जा रहे कंजरवेशन-फर्स्ट नजरिए पर प्रकाश डाला है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वंतारा के दोनों केंद्र "बेहद ऊंचे मानकों के अनुसार" काम करते हैं। यहां बाड़े और पशु चिकित्सा देखभाल जैसी उन्नत सुविधाएं हैं। वंतारा में उच्चस्तरीय पशु चिकित्सा प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है। CITES का कहना है कि वंतारा को अपनी पशु चिकित्सा प्रक्रियाओं और और उसके परिणामों को बड़े वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा करना चाहिए। इससे वंतारा कि अंतर्राष्ट्रीय महत्ता का पता चलता है।
2022 में संशोधित किया गया भारत का वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, CITES की न्यूनतम शर्तों को पूरा करता है और नेशनल लैजिस्लेशन के अंतर्गत कटेगरी 1 में क्लासीफाइड है, जो ग्लोबल कंप्लायंस और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। CITES की रिपोर्ट में उत्कृष्ट संगठन और तकनीकी एवं रसद सहायता" के लिए भारत को धन्यवाद दिया गया है।
ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर और राधा कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट पशुओं के बचाव और प्रजनन केंद्रों के रूप में काम करते हैं और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे जानवरों या उनके बच्चों को नहीं बेचते और न ही बेचेंगे। CITES की जांच में वैध CITES परमिट के बिना या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वंतारा में जानवरों के आयात का कोई सबूत नहीं मिला है। इससे भारतीय निगरानी में वैध और नैतिक आयात प्रक्रियाओं की पुष्टि होती है।
यहां प्रजनन में मिली सफलता से संरक्षण में हुई प्रगति साफ दिखाई दे रही है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने 26 देशी और 16 विदेशी प्रजातियों के लिए कार्यक्रमों को मंजूरी दी है। यहां,एशियाई शेरों का प्रजनन सफल रहा है। साथ ही भविष्य में प्रजनन के लिए स्पिक्स मैकॉ (Spix macaws) का पालन किया जा रहा है।
ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को औपचारिक रूप से 2019 में ज़ू, बचाव और संरक्षण-प्रजनन केंद्र के रूप में मान्यता दी गई थी। 2023 में इसका रिन्यूअल किया गया और 2025 में इसका फिर से मूल्यांकन किया गया। 15 सितंबर को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर और राधा कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट द्वारा किए गए अधिग्रहणों में भारतीय कानून, CITES मानकों और अन्य रेग्युलेशनों का पूर्णतः अनुपालन किया गया है।
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