हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार 27 जुलाई को सुबह भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की जानें चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। आइए जानते हैं कि मनसा देवी मंदिर की मान्यता और इस मंदिर का महत्व क्या है?
रविवार 27 जुलाई की सुबह हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की जानें चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रशासन का कहना है कि मंदिर में उम्मीद से ज्यादा भीड़ जमा होने के कारण हादसा हुआ। हरियाली तीज के दिन भक्तों की भीड़ क्यों लगी, क्या है इस मंदिर का महत्व आइए जानते हैं।
हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बिल्वा पर्वत पर स्थित है ।
इसके साथ ही यह मंदिर हरिद्वार शहर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और ऐसा भी माना जाता है कि यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
मनसा देवी मंदिर का धार्मिक महत्व काफी गहरा है। इसके साथ ही यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर का नाम 'मनसा' शब्द से आया है, जिसका अर्थ है 'मन की इच्छा'.
मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आकर माता के दर्शन करता है और अपनी इच्छा माता को बताता है, माता मनसा देवी उसकी मनोकामना पूरी करती हैं।
इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इसी जगह पर समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। इसके साथ ही , कुछ मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां माता सती का मस्तिष्क गिरा था, जिसके कारण इसे शक्तिपीठ का दर्जा मिला।
इस मंदिर में एक खास परंपरा निभाई जाती है वो है पेड़ पर धागा बांधना। भक्त अपनी प्रार्थना पूरी करने के लिए मंदिर में मौजूद एक पेड़ पर धागा बांधते हैं और प्रार्थना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां ये परंपरा निभाने से खुश होती हैं।
पुराणों के अनुसार मनसा माता दुर्गा मां और भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं। इस मंदिर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, और यह भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।