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पाकिस्तान को जेट इंजन सप्लाई कर रहा है रूस? कांग्रेस ने उठाए सवाल, मॉस्को ने किया खंडन

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, "इस विमान के लेटेस्ट ब्लॉक III वेरिएंट में एडवांस इंजन और वही PL-15 मिसाइलें होंगी, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे देश के खिलाफ इस्तेमाल की गई थीं। IAF प्रमुख ने भी कहा है कि JF-17 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों में शामिल हो सकता है, जो हमारे खिलाफ इस्तेमाल हुए थे

अपडेटेड Oct 05, 2025 पर 3:52 PM
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पाकिस्तान को जेट इंजन क्यों सप्लाई कर रहा है रूस? कांग्रेस ने केंद्र सरकार से किए सवाल

कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि मोदी सरकार को यह साफ करना चाहिए कि रूस, जो कभी भारत का सबसे भरोसेमंद रणनीतिक सहयोगी था, उसने नई दिल्ली की अपीलों को नजरअंदाज कर पाकिस्तान के चीन में बने JF-17 लड़ाकू विमानों के बेड़े के लिए एडवांस RD-93MA इंजनों की सप्लाई क्यों की है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, "इस विमान के लेटेस्ट ब्लॉक III वेरिएंट में एडवांस इंजन और वही PL-15 मिसाइलें होंगी, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे देश के खिलाफ इस्तेमाल की गई थीं। IAF प्रमुख ने भी कहा है कि JF-17 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों में शामिल हो सकता है, जो हमारे खिलाफ इस्तेमाल हुए थे।"

उन्होंने आगे कहा, "कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह समझौता जून 2025 में विदेश मंत्री एस जयशंकर के सीधे हस्तक्षेप के बावजूद आगे बढ़ रहा है। सरकार को देश को यह बताना चाहिए कि एक लंबे समय का और भरोसेमंद साझेदार रूस, क्यों अब पाकिस्तान को सैन्य समर्थन प्रदान कर रहा है, जबकि भारत अभी भी S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है और मास्को से SU-57 स्टील्थ फाइटर्स के लिए बातचीत कर रहा है।"


रूस ने किया खंडन

हालांकि, मॉस्को ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है, जिनमें दावा किया गया था कि रूस पाकिस्तान को सैन्य मदद दे रहा है और JF-17 फाइटर जेट्स के लिए इंजन सप्लाई कर रहा है। रूस ने इन खबरों को "तर्कहीन" बताया है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक वरिष्ठ रूसी अधिकारी ने टाइम्स नाउ से कहा, “ऐसे किसी विकास की पुष्टि नहीं हुई है।” अधिकारी ने आगे कहा कि ऐसी खबरें “तर्कहीन हैं” और “गंभीर और पेशेवर विश्लेषकों के लिए विश्वसनीय नहीं मानी जा सकतीं।”

रूसी सूत्र ने यह भी साफ किया कि रूस और पाकिस्तान के बीच इतना गहरा रक्षा सहयोग नहीं है कि जिससे भारत असहज महसूस करे। उन्होंने इस रिपोर्ट को भारत और रूस के बीच चल रहे “बेहद मजबूत और भविष्य उन्मुख सहयोग” को कमजोर करने की कोशिश बताया।

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