Trump Tariff : भारतीय टेक प्रोफेशनल्स का अमेरिका में काम करने का सपना टूटता नजर आ रहा है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा जैसी कंपनियां अपनी वर्कफोर्स में कटौती कर रही हैं। साथ ही H1B वीजा को लेकर स्क्रूटिनी भी बढ़ गई है। दशकों तक भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स का एक सपना रहा है अमेरिका और सिलिकॉन वैली में काम करना। लेकिन अब वहां आईटी प्रोफेशनल्स को नई नई परेशानियों का सामना करना पड रहा है और उनका सपना टूटता नजर आ रहा है।
गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा जैसी कंपनियां अपनी वर्क फोर्स में कटौती कर रही है। पिछली तिमाही में कंपनियों ने अपनी वर्क फोर्स में करीब 3,000 लोगों की कटौती की है। इसके साथ ही सैलरी हाइक, नई भर्ती पर रोक और बेंच सिटिंग भी कम हो गई है। अमेरिका में H1B Visa को लेकर स्क्रूटिनी भी बढ़ गई है।
दूसरी तरफ अमेरिका के टैरिफ वार ने अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। अमेरिकी और यूरोपियन कंपनियां अपने आईटी बजट में लगातार कटौती कर रही है नतीजा करीब 280 बिलियन डॉलर की भारत की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री भी दबाव में है और IT कंपनियों के नतीजों में रेवेन्यू ग्रोथ पर असर दिख रहा है और और आगे के लिए गाइडेंस भी काफी कमजोर है।
अभी अमेरिकी कंपनियां अनिश्चितता के चलते सभी कांट्रेक्ट टाल रही है। लिहाजा जब तक टैरिफ का मसला किसी अंजाम तक नहीं पहुंच जाता, आईटी कंपनियों के लिए राह आसान नहीं होगी।