क्या आपने कभी सोचा है कि मोबाइल चार्जर, जो हर घर में अक्सर स्विच में लगा ही रहता है, क्या वो बिना इस्तेमाल के भी बिजली खर्च करता है? हाल ही में सोशल मीडिया पर इसी को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है जिसने लोगों के बीच भ्रम फैला दिया है। लोग सोच में पड़ गए हैं कि कहीं ये छोटी-सी लापरवाही उनकी जेब पर भारी तो नहीं पड़ रही! खासकर जब हर घर में दो से तीन मोबाइल और उतने ही चार्जर मौजूद हों, तब ये सवाल और भी अहम हो जाता है।
इस मुद्दे पर बहस इसलिए भी जरूरी हो जाती है क्योंकि ये सिर्फ बिजली की बचत नहीं, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा दोनों से जुड़ा हुआ मामला है। तो चलिए जानते हैं कि इस वायरल दावे में कितनी सच्चाई है और हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
क्या वाकई चार्जर करता है बिजली की चोरी?
इस सवाल का जवाब है हां, लेकिन बहुत कम मात्रा में। जब कोई चार्जर स्विच में लगा रहता है और ऑन रहता है, भले ही फोन उससे न जुड़ा हो, तब भी वो थोड़ा-बहुत करंट खींचता है। इसे "वैंपायर पावर" या "स्टैंडबाय पावर" कहा जाता है। औसतन एक चार्जर इस स्थिति में 0.1 से 0.5 वॉट बिजली खपत करता है।
महीनेभर में कितनी बिजली जाती है?
अगर आप पूरे महीने चार्जर को स्विच में ऑन छोड़ते हैं, तो इससे करीब 1 से 2 यूनिट बिजली खर्च हो सकती है। ये सुनने में भले ही बहुत कम लगे, लेकिन अगर आपके घर में एक से ज्यादा चार्जर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ लगातार ऑन रहती हैं, तो ये आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ सकता है और बिजली के बिल में फर्क ला सकता है।
सिर्फ बिजली नहीं, सेफ्टी का भी है सवाल
बिजली की बचत तो जरूरी है ही, लेकिन फायर सेफ्टी के लिहाज से भी ये आदत खतरनाक हो सकती है। कुछ मामलों में चार्जर ज्यादा देर तक प्लग में लगा रहने से गर्म हो जाता है, जिससे आग लगने का खतरा रहता है। खासकर पुराने या सस्ते चार्जर में ये रिस्क ज्यादा होता है।
अगर आप सच में बिजली की बचत करना चाहते हैं और अनावश्यक खर्च से बचना चाहते हैं, तो सबसे आसान उपाय है – चार्जिंग के बाद चार्जर को प्लग से निकाल दें। ये आदत न सिर्फ आपके बिजली के बिल को कम करेगी बल्कि घर को सुरक्षित भी बनाएगी।
दावा सही है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं
तो कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा पूरी तरह से अफवाह नहीं है, लेकिन इसे लेकर घबराने की जरूरत भी नहीं है। हां, चार्जर थोड़ा बहुत बिजली जरूर खपत करता है, लेकिन ये खपत इतनी ज्यादा नहीं है कि आपके महीने के बजट को हिला दे। फिर भी, एक जागरूक उपभोक्ता होने के नाते इस आदत को बदलना एक सही कदम हो सकता है।