भारतीय खाना सिर्फ मसालों और स्वादों का खेल नहीं है, बल्कि उसे पकाने के तरीके भी उतने ही खास हैं। अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों में विकसित इन विधियों ने खाने में गहराई, खुशबू और सेहत का सही मेल बनाया है।
चाहे वो धीमी आंच पर पकाना हो या धुएं से खुशबू भरना । हर तकनीक अपने आप में अनोखी है। आइए जानते हैं भारत की कौन सी वो प्रमुख कुकिंग टेक्नीक्स जो खाने को स्वाद दोगुना बना देती हैं।
तड़का (Tempering)
दाल हो या कढ़ी, तड़का लगते ही उसकी खुशबू पूरे घर में फैल जाती है। सरसों, जीरा, हींग और लहसुन जैसे मसालों को गरम घी या तेल में फोड़ना, खाने में गहराई और सुगंध जोड़ देता है।
दम (Slow Cooking)
दम यानी धीमी आंच पर लंबे समय तक पकाना। यह तकनीक बिरयानी, कोफ्ता या दालों को काफी रिच और मुलायम बनाती है। ढक्कन बंद करके पकाने से मसाले धीरे-धीरे घुलते हैं और स्वाद भीतर तक पहुंचता है।
भूनना (Bhuna)
मसाले, प्याज और टमाटर को तेल में तब तक भूनना जब तक उनका रंग गहरा और खुशबू तेज न हो जाए। इस प्रक्रिया से ग्रेवी गाढ़ी और लजीज बनती है, जो खासकर नॉर्थ इंडियन सब्जियों में जरूरी है।
धुंआ देना (Dhungar Technique)
जब दाल मखनी या कबाब को कोयले के धुएं से महकाया जाता है, तो उसका स्वाद अगले स्तर पर चला जाता है। एक छोटा सा जलता हुआ कोयला, थोड़ा घी और ढक्कन और बन जाता है स्मोकी टच!
भाप में पकाना (Steaming)
इडली, मोमोज, ढोकला ये सभी भाप में पकते हैं, जिससे खाना हल्का और पोषण से भरपूर बनता है। तेल का उपयोग बेहद कम होता है, इसलिए यह सेहत के लिए भी बेहतरीन विकल्प है।
भुना तड़का (Double Tempering)
कुछ व्यंजन, जैसे खिचड़ी या सांभर में पहले मसाले के साथ पकाया जाता है और फिर परोसते समय एक दूसरा ताजा तड़का डाला जाता है। इससे स्वाद और भी फ्रेश व तीव्र हो जाता है।
अक्सर लोग सोचते हैं कि मसाले जितना जलेंगे, उतना अच्छा स्वाद आएगा। पर असली स्वाद मसालों को धीरे-धीरे पकाने में आता है ताकि वो जलें नहीं बल्कि पक कर स्वाद दोगुना कर दें।
तड़का शरीर की पाचन शक्ति को तेज करता है, भूनना पानी की मात्रा को संतुलित करता है और भाप से पकाना पोषण बनाए रखता है। ये सब स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य में भी योगदान देते हैं।
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