पुराने प्रेशर कुकर हमारे हर घर की रसोई में आमतौर पर देखे जाते हैं। अक्सर लोग इनके खतरों के बारे में सोचते तक नहीं हैं, लेकिन रिसर्च और विशेषज्ञों की राय इसे लेकर चिंताजनक है। खासकर एल्युमिनियम और पीतल के पुराने कुकर धीरे-धीरे हमारे खाने में सीसा छोड़ सकते हैं। ये सीसा शरीर में जमा होकर खून, हड्डियों और मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। समय के साथ इसका असर थकान, याददाश्त की कमजोरी, मूड स्विंग, नसों की समस्या और बच्चों में मानसिक विकास में कमी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में सामने आ सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. मनन वोरा ने चेतावनी दी कि पुराने कुकर से खाना सीसा ले सकता है और ये लंबे समय में शरीर के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए, पुराने कुकर का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतना जरूरी है।
पुराने कुकर में छुपा सीसा का खतरा
डॉ. वोरा के अनुसार, “पुराना प्रेशर कुकर रसोई में सबसे खतरनाक चीज बन सकता है।” समय के साथ इसमें मौजूद सीसा खाने में मिल जाता है। यह शरीर से आसानी से बाहर नहीं निकलता और खून, हड्डियों और मस्तिष्क में जमा हो सकता है। पुराने कुकर के घिसे हुए रबर गैस्केट और सेफ्टी वॉल्व, खासकर खट्टी या एसिडिक खाने में, सीसा छोड़ने की प्रक्रिया को और तेज़ कर देते हैं। इससे लंबे समय में थकान, याददाश्त की कमजोरी, मूड स्विंग और नसों की समस्या जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
1998 में की गई स्टडी ने दिखाया कि भारतीय एल्युमिनियम कुकर सामान्य बर्तनों की तुलना में खाना थोड़ी ज्यादा मात्रा में सीसा छोड़ सकते हैं। 2022 की रिसर्च में अमेरिका में अफगान शरणार्थी परिवारों द्वारा इस्तेमाल किए गए एल्युमिनियम और पीतल के बर्तनों में सीसा खतरनाक रूप से ज्यादा पाया गया। वहीं, स्टेनलेस स्टील के बर्तन सबसे सुरक्षित साबित हुए। बच्चों के लिए ये खतरा और भी बड़ा है क्योंकि उनके मस्तिष्क का विकास सीसे से प्रभावित हो सकता है।
डायटीशियन श्रीमती अंजलि गुप्ता के अनुसार, सीसा धीरे-धीरे शरीर में जमा होता है और इसका असर लंबे समय में नजर आता है। बच्चों में ये आईक्यू और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। उनके अनुसार, पुराने या खरोंच वाले बर्तनों में एसिडिक खाना पकाने से धातु खाने में मिल सकती है। इसलिए, स्टेनलेस स्टील या नए, प्रमाणित कुकर का उपयोग करना सबसे सुरक्षित विकल्प है।