इस रंग बदलने की वजह है ऑक्सीडेशन प्रोसेस। सेब के टुकड़ों का संपर्क जैसे ही हवा से होता है, उसकी सेल्स टूटती हैं।
सेब के अंदर एक खास एंजाइम जिसका नाम है पॉलीफेनोल ऑक्सीडेज (PPO) होता है। हवा में मौजूद ऑक्सीजन इसके साथ मिलकर सेब के रंग को बदल देता है।
इस रिएक्शन को 'एंजाइमेटिक ब्राउनिंग' कहते हैं। सेब में PPO एंजाइम और पोलिफेनॉल्स ऑक्सीजन से मिलकर भूरे रंग के मेलानिन जैसे कंपाउंड बना देते हैं।
ध्यान रखने वाली बात है कि रंग बदलना नुकसानदायक नहीं है। कटा हुआ सेब कुछ देर तक सुरक्षित रहता है, बस इसका लुक बदलता है।
अगर आप कटे हुए सेब को लंच बॉक्स में देर तक ताजा रखना चाहते हैं, तो उसे पानी में डुबोकर रखें, ताकि हवा से सीधा संपर्क न हो पाए।
एक आसान तरीका है कटे सेब को हल्के नमक के पानी में कुछ मिनट डुबो दें और फिर इस्तेमाल करें। स्वाद पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, और रंग भी नहीं बदलेगा।
अगर कटे सेब पर नींबू का रस या सिरका छिड़क दिया जाए, तो इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, जिससे रंग बनेगा नहीं।
इसके साथ ही शहद का घोल भी ऐसा ही असर करता है। सेब के टुकड़ों को कुछ देर शहद-पानी के घोल में भिगोकर रखा जाए तो वे ज्यादा देर ताजा दिखेंगे।
कटे हुए सेब को एयरटाइट कंटेनर में पैक करें और फ्रिज में रखें। इससे ऑक्सीजन का एक्सपोज़र कम होगा और सेब घंटों ताजा बने रहेंगे।