दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट (SC) से जमानत मिलना कांग्रेस के लिए कुछ मिलीजुली स्थिति रहने वाली है। भले ही गठबंधन सहयोगी और विपक्ष के INDIA गुट के सदस्यों के रूप में, कांग्रेस और दूसरे लोग जमानत की सराहना कर रहे हैं, इसे "न्याय" कह रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के खेमे के लिए ये एक चिंता का कारण भी है। क्योंकि केजरीवाल की रिहाई का मतलब है कि वह अब हरियाणा चुनाव पर फोकस करेंगे। आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "बिल्कुल, अब अरविंद केजरीवाल हमारे हरियाणा चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे।"
कोई और मौका होता, तो इतनी बड़ी बात नहीं होती, लेकिन लेकिन समस्या यह है कि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने और केजरीवाल के जमानत पर बाहर होने के कारण, जो लोग इस बार अलग तरीके से वोट करना चाहते हैं, वे भी AAP को चुन सकते हैं।
AAP को गया हर एक वोट कांग्रेस के लिए नुकसान
AAP को गया हर एक वोट का मतलब कांग्रेस के लिए नुकसान है। AAP के वोट प्रतिशत में इजाफे की कीमत कांग्रेस को नुकसान से चुकानी पड़ेगी। इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) जरूरी खुश होगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने इस आधार पर हरियाणा में AAP के साथ किसी भी गठबंधन का कड़ा विरोध किया है कि वो पांच से ज्यादा सीटों के लायक नहीं हैं।
हरियाणा में क्यों नहीं हुआ AAP और कांग्रेस का गठबंधन?
दरअसल, जब गठबंधन और AAP की 10 से ज्यादा सीटों की मांग पर चर्चा के लिए बैठक हुई थी, तो हुड्डा और कांग्रेस के अजय माकन ने कहा था कि दिल्ली में AAP के साथ गठबंधन से उन्हें एक भी सीट जीतने में मदद नहीं मिली है।
साथ ही, जहां कांग्रेस मजबूत थी, वहां AAP ने उनके वोटों को नुकसान पहुंचाया था। हुड्डा, गांधी परिवार और शीर्ष नेतृत्व के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस के लिए समर्थन इतना मजबूत है कि AAP भी इसमें सेंध नहीं लगा सकती।
AAP ने पहुंचाया है कांग्रेस को नुकसान
कांग्रेस की टॉप लीडरशिप को बिल्कुल ये उम्मीद होगी कि हुड्डा की बातें सच होंगी। लेकिन पिछले कुछ सालों में, जहां आम आदमी पार्टी तीसरे विकल्प के तौर पर खड़ी हुई है, तो वहीं उसने कांग्रेस को नुकसान भी पहुंचाया है। उदाहरण के लिए, गोवा और गुजरात देख सकते हैं।
साथ ही, गोवा और गुजरात के विपरीत, केजरीवाल और AAP को ज्यादा उम्मीद है। दिल्ली और पंजाब में सरकार होने से AAP को उम्मीद है कि इसका असर पड़ोसी राज्य हरियाणा तक भी पहुंचेगा। केजरीवाल यह कार्ड भी खेलेंगे कि वह इसी राज्य के हैं।
अब देखना ये होगा कि खुद हरियाणा का बेटा बता कर क्या केजरीवाल कांग्रेस की जमीन खिसका तो नहीं देंगे?