Haryana polls 2024: गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ बनाएंगे कानून, नूंह विधायक आफताब अहमद का वादा
Haryana Election 2024: निवर्तमान हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के उपनेता अहमद का कहना है कि सांप्रदायिक हिंसा को लेकर पहले से ही अलर्ट था और उन्होंने प्रशासन के सामने पहले ही चिंता जताई थी, लेकिन उन्होंने "ऐसा होने दिया", जिससे न केवल जान-माल का नुकसान हुआ बल्कि आस्था का भी नुकसान हुआ
Haryana polls 2024: गोरक्षा के नाम पर मोब लिंचिंग के खिलाफ बनाएंगे कानून, नूंह विधायक आफताब अहमद का वादा
नूंह विधानसभा सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक आफताब अहमद ने हरियाणा चुनाव से पहले कई वादे किए हैं, जिसमें सबसे अहम है गोरक्षा के नाम पर भीड़ हत्या के खिलाफ कानून लाना और सांप्रदायिक हिंसा की न्यायिक जांच शामिल है। पिछले साल जिले में हुई ऐसी घटनाओं के चलते काफी अशांति फैली थी। अफताब इस बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं।
निवर्तमान हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के उपनेता अहमद का कहना है कि सांप्रदायिक हिंसा को लेकर पहले से ही अलर्ट था और उन्होंने प्रशासन के सामने पहले ही चिंता जताई थी, लेकिन उन्होंने "ऐसा होने दिया", जिससे न केवल जान-माल का नुकसान हुआ बल्कि आस्था का भी नुकसान हुआ।
सरकार ने नहीं रोकी हिंसा
अहमद ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "पिछले साल नूंह जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा BJP द्वारा 'गौरक्षकों' की आड़ में असामाजिक तत्वों के प्रचार के कारण हुई थी, उन्होंने भय का माहौल पैदा किया और माहौल तनावपूर्ण बना दिया। बतौर विधायक मैं इसे प्रशासन के संज्ञान में लाया कि 'आपको ऐसी घटनाओं को रोकना चाहिए' लेकिन उन्होंने ऐसा होने दिया।"
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री रेवाडी में एक बैठक करने में बिजी थे, दोनों पक्षों के असामाजिक तत्वों की ओर से चुनौती दिए जाने के बावजूद पूरे रूट पर केवल 300 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे... उन्होंने ऐसा होने दिया और आज तक हम मांग कर रहे हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों, ऐसी हिंसा के कारणों और हिंसा से निपटने के तरीके की न्यायिक जांच की जाए।"
क्यों भड़की थी हिंसा?
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के जुलूस को रोकने की कोशिश को लेकर नूंह में भड़की झड़प बाद में गुरुग्राम तक फैल गई, जिसमें दो होम गार्ड और एक मौलवी समेत छह लोगों की मौत हो गई। बाद में पुलिस ने मामले में कांग्रेस के फिरोजपुर झिरका विधायक मम्मन खान के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के आरोप लगाए।
अहमद ने कहा, “हिंसा के एक दिन बाद, उन्होंने कुछ ऐसे लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जो इसमें शामिल भी नहीं थे, हमारे हजारों गरीब लोगों के घरों को गिरा दिया गया, वे इस घटना में शामिल भी नहीं थे, और कठोर UAPA लगाया… यही कारण है कांग्रेस इस बात की न्यायिक जांच की मांग कर रही है कि सांप्रदायिक घटना किस वजह से हुई... यह सिर्फ जान-माल का नुकसान नहीं था, बल्कि लोगों के बीच आस्था का भी नुकसान था।"
उन्होंने कहा, "हम काफी भाग्यशाली हैं कि लोगों ने उनके खेल को देखा और घटना के एक दिन बाद, ऐसी कोई घटना दोबारा नहीं हुई और लोगों को एहसास हुआ कि हमें सद्भाव में रहना होगा... हम गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हत्या के खिलाफ एक कानून लाएंगे।"
नूंह में कैसा मुकाबला?
58 साल के अहमद का मुकाबला नूंह में सोहना विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक BJP के संजय सिंह से है। इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने ताहिर हुसैन को मैदान में उतारा है।
ताहिर हुसैन निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक और हरियाणा वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जाकिर हुसैन के बेटे हैं। वह हाल ही में इनेलो में शामिल हुए हैं।
BJP नूंह से कभी नहीं जीती है और यहां के मतदाताओं ने ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस और INLD का समर्थन किया है।
नूंह को 2005 में तत्कालीन गुड़गांव और फरीदाबाद के कुछ हिस्सों से एक अलग जिले के रूप में बनाया गया था। इसमें तीन विधानसभा क्षेत्र हैं - नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना
मुस्लिम बहुल जिले में नूंह एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र है, जहां भाजपा ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।
BJP पर लगाए गंभीर आरोप
अहमद ने कहा, "गौरक्षकों की आड़ में असामाजिक तत्व इस इलाके की शांति और सद्भाव को बिगाड़ रहे हैं... उन्हें लगता है कि वे कानून से ऊपर हैं, वे कानून को अपने हाथ में लेते हैं, ऐसा लगता है कि वे कोई संवैधानिक प्राधिकारी हैं, BJP उनकी मदद करती दिख रही है।”
उन्होंने कहा, "गौरक्षा चुनावी मुद्दों में से एक है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र का विकास है, जिसे उन्होंने (BJP) रोक दिया... इसे एक आकांक्षी जिला घोषित करने के बावजूद, बजट आवंटन में ऐसा कुछ नहीं हुआ।"
नूंह में स्थानीय लोग - जिन्हें आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े के रूप में पहचाना जाता है - बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चक और एक यूनिवर्सिटी की मांग कर रहे हैं। पानी की पुरानी कमी के अलावा, जर्जर बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और ज्यादा बेरोजगारी दर जिले में मतदाताओं की चिंताओं पर हावी हैं।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होंगे और नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होंगे।