Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश की BJP सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महिलाओं को लेकर एक और बड़ा ऐलान किया है। मध्य प्रदेश में महिलाओं को अब सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस फैसले के बाद अब सीधी भर्तियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण मिलेगा। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में वन विभाग को छोड़कर बाकी सभी पदों पर महिलाओं को भर्ती में 35 फीसदी आरक्षण देने की नोटिफिकेशन जारी कर दी है।
राज्य सरकार ने महिलाओं को 35% आरक्षण देने के लिए मध्य प्रदेश सिविल सेवा (महिलाओं की नियुक्ति के लिए विशेष प्रावधान) नियम, 1997 में संशोधन किया है। इससे पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस और अन्य सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण और शिक्षण पदों पर महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने की भी घोषणा की थी।
स्थानीय निकायों में एल्डरमैन सहित अन्य पदों पर महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। लड़कियों को बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करते हुए उनकी शिक्षा फीस सरकार द्वारा वहन की जाएगी। हाल ही में संसद से पारित हुआ महिला आरक्षण विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया है।
इस विधेयक के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसे अब आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जाएगा।
हाल में संसद के एक विशेष सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' बताया था। देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले उस 128वें संविधान संशोधन विधेयक को 21 सितंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी। इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।
इस कानून को लागू होने में कुछ समय लगेगा, क्योंकि अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया (लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण) से महिलाओं के लिए निर्धारित की जाने वाली विशेष सीटों का पता लगाया जाएगा।
इस अधिनियम में फिलहाल 15 साल के लिए महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की महिलाओं के लिए कोटा है और विपक्ष ने मांग की थी कि इसका लाभ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तक बढ़ाया जाए।