MP Election 2023 : मतदान की तारीख नजदीक आ चुकी है, फिर महाकाल की नगरी में क्यों है सन्नाटा?

उज्जैन नॉर्थ को भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां मतदाताओं की संख्या 2,28,264 है। BJP ने इस बार पारस जैन को टिकट नहीं दिया है। इसकी वजह उनका खराब स्वास्थ्य है। उनकी जगह भाजपा ने अनिल जैन को टिकट दिया है। कांग्रेस ने माया राजेश त्रिवेदी को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी (AAP) भी यहां ताल ठोक रही है

अपडेटेड Nov 01, 2023 पर 6:28 PM
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पिछले कई चुनावों से यहां से भाजपा का उम्मीदवार जीतता रहा है। चुनाव प्रचार का शोरगुल नहीं दिखने की यह भी एक वजह हो सकती है कि भाजपा इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में तीन हफ्ते से कम समय बचा है। लेकिन, महाकालेश्वर मंदिर के लिए दुनिया भर में मशहूर उज्जैन में चुनाव का माहौल नहीं नजर आता। चुनाव प्रचार करते उम्मीदवार नहीं दिखते। सड़क और गलियों में राजनीतिक दलों के बैनर नहीं दिख रहे। उज्जैन नॉर्थ को भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां मतदाताओं की संख्या 2,28,264 है। BJP ने इस बार पारस जैन को टिकट नहीं दिया है। इसकी वजह उनका खराब स्वास्थ्य है। उनकी जगह भाजपा ने अनिल जैन को टिकट दिया है। कांग्रेस ने माया राजेश त्रिवेदी को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी (AAP) भी यहां ताल ठोक रही है। उसने विवेक यादव को मैदान में उतारा है, जो हाल में कांग्रेस से आप में आए थे। इस तरह इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। भाजपा ने इस सीट से छह बार विधायक रहे जैन को भले ही टिकट नहीं दिया है, लेकिन उसे इस सीट को जीतने का पूरा भरोसा है। इसकी वजह यह है कि महाकाल की इस नगरी में उसे वोटर्स का काफी सपोर्ट हासिल है।

महाकाल का दर्शन करने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं

एक टैक्स ड्राइवर से चुनावी नतीजों के बारे में पूछने पर कुछ हद तक तस्वीर साफ हो जाती है। उसने कहा, "यहां लड़ाई बहुत आसान है। हमें सिर्फ कमल का पटन दबाना है।" कमल BJP का चुनाव चिन्ह है। उसने कहा कि उसकी कंपनी के कैब का इस्तेमाल इंदौर में चुनाव प्रचार के लिए होगा। टैक्सी ड्राइवर की बातों से साफ हो जाता है कि यहां दूसरे राजनीतिक दलों के लिए बहुत गुंजाइश नहीं है। हो सकता है कि यहां की सड़कों पर चुनावी माहौल नहीं दिखने की यह बड़ी वजह हो। महाकाल का दर्शन करने यहां देश-विदेश से भक्त आते रहते हैं। इसलिए पूरे शहर का माहौल भक्तिमय नजर आता है।


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कई बड़े नेता महाकाल का आशीर्वाद ले चुके हैं

स्ट्रीट वेंडर कमल वर्मा ने कहा, "अभी चुनाव में काफी समय है। कुछ दिन इंतजार कर लीजिए इसके बाद आपको चुनावी हलचल दिखनी शुरू हो जाएगी।" अभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने भले ही चुनाव प्रचार ज्यादा शुरू नहीं किए हैं, लेकिन वे महाकाल का दर्शन करने के लिए यहां आ चुके हैं। नेताओं का मानना है कि चुनाव में जीत हासिल करने के लिए महाकाल का आशीर्वाद हासिल करना जरूरी है। महाकाल का आशीर्वाद लेने वाले नेताओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ शामिल हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी यहां आ चुकी हैं।

भाजपा समर्थकों को एक बार फिर कमल खिलने का भरोसा

महकाल की नगरी के लोग खुद को भाजपा का सपोर्टर बताने में संकोच महसूस नहीं करते हैं। वे महाकाल लोक कॉरिडोर बन जाने से खुश दिखते हैं। कुछ मतदाताओं ने बताया कि 17 नवंबर की चुनाव की तारीख नजदीक आने पर नेताओं की सक्रियता बढ़ेगी। लेकिन, उन्हें भाजपा की जीत को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं है। पिछले कई चुनावों से यहां से भाजपा का उम्मीदवार जीतता रहा है। चुनाव प्रचार का शोरगुल नहीं दिखने की यह भी एक वजह हो सकती है कि भाजपा इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है।

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