Maharashtra: 20 मिनट की मुलाकात और देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को डिप्टी CM के लिए कर लिया राजी, कैसे हुआ ये सब, जानें इनसाइड स्टोरी
महायुति गठबंधन के भीतर आंतरिक कलह की अटकलें तब बढ़ गईं, जब शिंदे सतारा में अपने पैतृक गांव चले गए। हालांकि, वह थोड़े अंतराल के बाद मुंबई लौट आए और गठबंधन के प्रमुख नेताओं के साथ विचार-विमर्श फिर से शुरू किया। मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास, वर्षा बंगले पर नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री फडणवीस के साथ बातचीत, शिंदे को डिप्टी सीएम की भूमिका स्वीकार करने के लिए मनाने में अहम रही
Maharashtra: 20 मिनट की मुलाकात और देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को डिप्टी CM के लिए कर लिया राजी
पिछले 10 दिन शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के लिए खासे चुनौतीपूर्ण रहे हैं। शिंदे को न केवल खराब सेहत का सामना करना पड़ा, बल्कि उन्हें देवेंद्र फडणवीस के नेतृ्त्व वाली महाराष्ट्र सरकार में बतौर उपमुख्यमंत्री शामिल होने के लिए बढ़ते दबाव को झेलना पड़ा। ढाई साल तक मुख्यमंत्री के रूप में काम करने के बाद, शिंदे को सेकंड इन कमांड का पद मंजूर नहीं थी, इसलिए उन्होंने शुरुआत में संगठन को मजबूत करने पर फोकस रखने को प्राथमिकता दी।
महायुति गठबंधन के भीतर आंतरिक कलह की अटकलें तब बढ़ गईं, जब शिंदे सतारा में अपने पैतृक गांव चले गए। हालांकि, वह थोड़े अंतराल के बाद मुंबई लौट आए और गठबंधन के प्रमुख नेताओं के साथ विचार-विमर्श फिर से शुरू किया। मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास, वर्षा बंगले पर नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री फडणवीस के साथ बातचीत, शिंदे को डिप्टी सीएम की भूमिका स्वीकार करने के लिए मनाने में अहम रही।
शिंदे को मनाने में फडणवीस की अहम भूमिका
इस निर्णय लेने की प्रक्रिया में फडणवीस ने केंद्रीय भूमिका निभाई। सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद, फडणवीस ने वर्षा में शिंदे से मुलाकात की और उनसे मंत्रिमंडल में शामिल होने का आग्रह किया।
अपनी 20 मिनट की बैठक के दौरान, शिंदे ने आपत्ति जताई, लेकिन कथित तौर पर उन्हें गृह विभाग, MSRDC और ऊर्जा सहित प्रमुख विभागों देने का आश्वासन दिया गया, जो शासन और उनकी पार्टी की राजनीतिक स्थिति दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मीडिया से बात करते हुए, फडणवीस ने कहा, “शिवसेना और महायुति सदस्यों की इच्छा है कि शिंदे इस सरकार में हमारे साथ हों। मुझे पूरा विश्वास है कि वह हमारे साथ जुड़ेंगे।”
शिवसेना विधायकों ने भी शिंदे को मनाया
शिंदे को मनाने में शिवसेना विधायकों और पूर्व कैबिनेट सहयोगियों ने भी अहम भूमिका निभाई। सूत्र बताते हैं कि शिंदे शुरू में चाहते थे कि पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता डिप्टी सीएम की भूमिका निभाए। हालांकि, राज्य भर के विधायकों, सांसदों और शिवसैनिकों की लगातार मांग ने उन्हें फिर से इस पर सोचने के लिए मजबूर किया।
शिव सेना के बड़े नेताओं ने पार्टी के मनोबल और एकता को बनाए रखने के लिए नई सरकार में शिंदे की भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया।
पार्टी विधायक भरत गोगावले ने कहा, "हमने उनसे सरकार का हिस्सा बनने का आग्रह किया, क्योंकि इससे पार्टी और प्रशासन दोनों को मदद मिलेगी।" इसी तरह, उदय सामंत ने बताया कि निर्दलीय सहित लगभग 60-61 विधायकों ने इस पद के लिए शिंदे का मजबूती से समर्थन किया।
शिंदे की झिझक पार्टी की वफादारी के साथ व्यक्तिगत कद को बैलेंस करने से उपजी थी। उपमुख्यमंत्री की भूमिका स्वीकार करने से सरकार में शिवसेना की उपस्थिति मजबूत होगी और यह सुनिश्चित होगा कि पार्टी के हित सुरक्षित रहेंगे।
शिवसेना के लिए कितना अच्छा है फैसला?
हालांकि, मुख्यमंत्री के बाद डिप्टी CM बनना शिंदे को शायद पसंद नहीं आ रहा था। दूसरी ओर, अगर शिंदे डिप्टी CM का पद स्वीकार नहीं करते, तो इससे महायुति गठबंधन के भीतर शिवसेना का प्रभाव कमजोर हो सकता है और इसकी भविष्य की राजनीतिक संभावनाएं खतरे में पड़ सकती हैं।
शिंदे का बतौर उपमुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने का निर्णय महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में एक अहम क्षण है। यह सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर शिवसेना की भूमिका और पार्टी के भीतर शिंदे के नेतृत्व को मजबूत करता है।
अच्छे और बड़े पोर्टफोलियो के आश्वासन ने भी गठबंधन सद्भाव बनाए रखने के बड़ी भूमिका अदा की। जैसा कि महाराष्ट्र महायुति सरकार के तहत इस नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है, राज्य में शासन और राजनीतिक गतिशीलता को आकार देने में शिंदे की भूमिका बड़ी रहेगी।