महाराष्ट्र में इस बार का विधानसभा चुनाव मराठा आंदोलन के इर्द-गिर्द ही घूमता नजर आया। मनोज जरांगे पाटिल और उनके आंदोलन को नजरअंदाज करने का नतीजा महायुति ने लोकसभा चुनाव में देखा था। लोकसभा चुनाव पर भी मराठा फैक्टर का भारी असर पड़ा, तो ऐसे में अब सवाल ये बनता है कि क्या विधानसभा चुनाव में भी मराठा आंदोलन का वैसा ही प्रभाव देखने को मिलेगा? मतदान के बाद आए एग्जिट पोल के मुताबिक, महागठबंधन को साफ बहुमत मिलने की संभावना है। क्योंकि 10 में से 6 एग्जिट पोल में महागठबंधन की जीत की संभावना जताई गई है। इसलिए इस चुनाव में मराठा फैक्टर कितना प्रभावी रहा, इसे लेकर संशय बरकार है।
कुल 10 में 6 सर्वे एजेंसियों ने महायुति सरकार की वापसी की भविष्यवाणी की है। जबकि डेमोक्रेटिक महारुद्र के सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि राज्य में किसी एक दल या गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा और सत्ता की चाबी निर्दलीय या विद्रोहियों के हाथों में होगी। असल में क्या होगा यह तो 23 तारीख को साफ हो जाएगा।
मराठा आंदोलन से बदले हालात
मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले नेता मनोज जरांगे पाटिल विधानसभा चुनाव से पीछे हट गए। पिछले साल जरांगे पाटिल तब सुर्खियों में आए थे, जब जालना जिले के अंतरवाली सराती में आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे मराठा समुदाय के लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
विधानसभा चुनाव में मनोज जरांगे पाटिल के निर्देश के बाद कुछ उम्मीदवारों ने निर्दलीय उम्मीदवारी के पर्चे दाखिल किए। हालांकि, जरांगे पाटिल के कहने के बाद आखिरी समय में नाम वापस ले लिए गए थे।
मराठा वोटर्स का क्या हुआ?
उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे। हालांकि, उन्होंने मराठा मतदाताओं से अपील की कि वे मराठा आरक्षण के बारे में सोचें और फिर वोट करें।
इसलिए विधानसभा चुनाव में मराठा मतदाताओं का बड़ा असर पड़ने की संभावना थी, लेकिन, एग्जिट पोल के मुताबिक, ऐसा लगता है कि मराठा मतदाता ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं। हालांकि, ये तस्वीर 23 नवंबर को ही साफ हो पाएगी।