ऐसा लगता है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में लगे बड़े झटके के बाद बड़ा सबक लिया। फिर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को खेल बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा। महाराष्ट्र लगातार दूसरा चुनाव है, जिसमें बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। दोनों राज्यों की जीत में संघ का बड़ा हाथ है। इस जीत के बाद संघ पहले से ज्यादा ताकतवर होकर उभरा है। उसने दिखा दिया है कि जमीनी स्तर पर उसकी जो पकड़ है, अगर उसका इस्तेमाल किया जाता है तो बीजेपी को जीतने से कोई रोक नहीं सकता। उसने यह भी साबित कर दिया है कि सिर्फ हिंदुत्व का कार्ड जीत के लिए पर्याप्त नहीं है बल्कि जमीनी स्तर पर उसे वोट में करना जरूरी है।
सजग रहो कैंपेन का दिखा असर
संघ के 'सजग रहो' कैंपेन ने हिंदु वोटर्स को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई। इससे हिंदू वोटर्स जाति की दीवार लांघ कर बीजेपी के पक्ष में मतदान करने को आगे आए। इससे हिंदु मतों का धुव्रीकरण हुआ। उधर, महाविकास आघाड़ी में कई मसलों पर खुलकर मतभेद दिखे। महायुति सरकार की महिलाओं के लिए शुरू की गई लाडली बहन योजना ने संघ (RSS) के लिए काम और आसान कर दिया। संघ महिलाओं को यह भरोसा दिलाने में सफल रहा कि यह सरकार उनके हित में काम करना चाहती है।
बूथ स्तर पर संपर्क अभियान का फायदा
संघ के एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया कि इस बार बूथ स्तर पर संपर्क अभियान काफी कारगर रहा। इससे संघ के प्रतिनिधियों ने मतदाताओं को एकजुट रहने के फायदों के बारे में बताया। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक हैं तो सेफ हैं के नारे ने मतदाताओं पर काफी असर डाला। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार बीजेपी और संघ के मिलकर काम करने के शानदार नतीजे सामने आए। महाराष्ट्र वह राज्य है, जहां संघ का मुख्यालय है। इस राज्य में संघ के कार्यकर्ताओं का अच्छा नेटवर्क है। इस नेटवर्क के सक्रिय होने से हिंदू वोटों का बंटवारा नहीं हो पाया। यही वजह है कि महाविकास अघाड़ी को उम्मीद से कम सीटें इस चुनाव में मिली हैं।
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संघ की मदद से बढ़ती है बीजेपी की ताकत
राजनीति के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी ने यह समझ लिया था कि संघ के समर्थन के बिना उसके लिए जीत हासिल करना आसान नहीं है। पार्टी के सीनियर नेताओं ने भी समझ लिया था कि मौदी मैजिक एक सीमा तक ही काम कर सकता है। वोटर्स को मतदान केंद्र तक लाने के लिए संघ का सहयोग जरूरी है। इसलिए संघ के खिलाफ बोलने वाले कुछ सीनियर नेताओं को नसीहत भी दी गई। इसका नतीजा था कि संघ और बीजेपी दोनों की ताकत महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में काम आई।