देवेंद्र फडणवीस के साथ गुरुवार को मुंबई के आजाद मैदान में अजित पवार भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। जाहिर तौर पर अजित दादा पवार भी मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते हैं, लेकिन इस बार भी उन्हें डिप्टी CM पद ही मिला है। इसी के साथ वह लगातार छह बार दूसरे नंबर पर रहने वाले नेता बने। राजनीति के तूफानों में अजित पवार कई बार मुश्किलों में फंसे हैं, लेकिन उन्हें बारामती से आठ बार के विधायक और एक कुशल प्रशासक के रूप में जाना जाता है। चुनाव मैनेजमेंट और लीडरशिप में उनके अनुभव ने उन्हें जबरदस्त लोकप्रियता दिलाई है।
अजित पवार एक सख्त प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के मार्गदर्शन में राजनीति सीखी। 2010 में उन्होंने पहली बार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। फिर 2012 में वह दोबारा उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद वह करीब चार बार उप मुख्यमंत्री रहे।
महाराष्ट्र में 1978 से शुरू हुई डिप्टी CM की परंपरा
महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री पद की परंपरा 1978 से शुरू हुई। नासिकराव तिरपुडे महाराष्ट्र के पहले उपमुख्यमंत्री थे। उसके बाद कई नेताओं ने अलग-अलग समय पर उपमुख्यमंत्रियों के तौर पर काम किया। अजित पवार कुल छह बार इस पद पर रहे हैं, जो एक रिकॉर्ड है।
नवंबर 2004 में, आरआर पाटिल ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और चार साल से ज्यादा समय तक इस पद पर रहे। उन्होंने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद छगन भुजबल को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया, जो 10 नवंबर 2010 तक पद पर रहे। भुजबल के बाद अजित पवार उप मुख्यमंत्री बने और तब से वह छह बार उप मुख्यमंत्री रहे हैं।
नवंबर 2010 में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ जाकर छगन भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाने का विरोध किया था। सितंबर 2012 में 70,000 करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में नाम आने के बाद भुजबल को इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, तीन महीने बाद वह "क्लीन चिट" के साथ सरकार में लौट आए।
चार मुख्यमंत्री और एक उपमुख्यमंत्री
अजित पवार ने पहली बार 10 नवंबर 2010 को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब पृथ्वीराज चव्हाण मुख्यमंत्री थे। इसके बाद वह 25 सितंबर 2012 तक उपमुख्यमंत्री रहे। उसके बाद उन्होंने पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व में 25 अक्टूबर 2012 से 26 सितंबर 2014 तक उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
23 नवंबर 2019 से 26 नवंबर 2019 तक वह उप मुख्यमंत्री रहे। तब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ मंत्री पद की शपथ ली, लेकिन ये सरकार महज 80 घंटे में ही गिर गई।
इस सरकार के पतन के तुरंत बाद 30 नवंबर 2019 से 29 जून 2023 तक वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे।
जून 2023 में, उन्होंने शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया और महाविकास अघाड़ी से हट गए। इसके बाद उन्होंने 2 जुलाई 2023 से 26 नवंबर 2024 तक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद संभाला। अब वह 5 दिसंबर 2024 को फिर से उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं।