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Rajasthan Election 2023: पाकिस्तान से आए हिंदुओं को आज भी नागरिकता का इंतजार, पिछले चुनाव के वादे आज भी अधूरे

Rajasthan Election 2023: अब एक बार फिर राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने वाले हैं। राम अपने परिवार के साथ जोधपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर गंगाणा रोड पर भील बस्ती में एक अस्थायी बस्ती में रहते हैं। वे उन हजारों पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों में से हैं, जो बेहतर जीवन की उम्मीद लेकर शहर में रह रहे हैं। जोधपुर में पाकिस्तान से आए प्रवासियों की राज्य की सबसे बड़ी आबादी है

अपडेटेड Nov 14, 2023 पर 2:36 PM
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Rajasthan Election 2023: पाकिस्तान से आए हिंदुओं को आज भी नागरिकता का इंतजार

Rajasthan Election 2023: 40 साल के गामू राम और उनका परिवार, एक दशक पहले पाकिस्तान (Pakistan) से बेहतर जीवन के लिए यहां आए थे। अब उन्हें भारत की नागरिकता और पुनर्वास के लिए संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) का इन मुद्दों को हल करने का वादा अधूरा है। अब एक बार फिर राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने वाले हैं। राम अपने परिवार के साथ जोधपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर गंगाणा रोड पर भील बस्ती में एक अस्थायी बस्ती में रहते हैं।

वे उन हजारों पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों में से हैं, जो बेहतर जीवन की उम्मीद लेकर शहर में रह रहे हैं। जोधपुर में पाकिस्तान से आए प्रवासियों की राज्य की सबसे बड़ी आबादी है। भारतीय नागरिक न होने के कारण उनके पास वोट करने का अधिकारी नहीं है, लेकिन उन्हें राजनीतिक दलों से बहुत उम्मीदें हैं।

राम के परिवार में करीब 12 लोग हैं। वह कहते हैं, "मैं लगभग 10 साल पहले पाकिस्तान से भारत आया था। पाकिस्तान में कोई समस्या नहीं थी, लेकिन हम बेहतर जीवन के लिए यहां आए थे। हमारे पास भारतीय नागरिकता नहीं है और घर के लिए कोई स्थायी जमीन नहीं है।"


2018 में रेगिस्तानी राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले, उस समय सत्तारूढ़ दल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने समुदाय के सामने नागरिकता और पुनर्वास से जुड़े मुद्दों को हल करने का वादा किया था।

पांच साल बाद, राज्य एक बार फिर चुनाव की ओर बढ़ रहा है, लेकिन राम जैसे प्रवासियों के लिए बहुत कुछ नहीं बदला है। ये लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए रोजाना संघर्ष करते हैं।

'हम भारतीय नागरिकता पाने के लिए नहीं मर रहे'

गोमू राम के दूर के रिश्तेदार तीर्थ राम ने कहा, "हम भारतीय नागरिकता पाने के लिए नहीं मर रहे हैं, लेकिन हम रहने के लिए जमीन चाहते हैं। हम अस्थायी बस्तियों में रह रहे हैं। 10 साल में हमारी हालत और भी खराब हो गई है।"

उन्होंने कहा, "हम मुफ्त जमीन नहीं मांग रहे हैं, लेकिन अगर सरकार हमें पक्का घर मुहैया कराती है, तो हम किश्तों में इसका भुगतान करने के लिए तैयार हैं।"

खेत में मजदूरी करने वाले भेरा राम ने कहा कि उनका पाकिस्तानी पासपोर्ट खत्म हो गया है और वीजा एक महीने में एक्सपायर हो जाएगा, जिसके लिए उन्हें नई दिल्ली में उच्चायोग का दौरा करना होगा।

उन्होंने कहा, "हमारे परिवार में 11 सदस्य हैं। हम लगभग पांच साल पहले आए थे। हमने उसी साल अपना पासपोर्ट बनवाया था। इसलिए, हमारे पाकिस्तानी पासपोर्ट खत्म हो गए हैं। वीजा एक महीने के भीतर खत्म हो जाएगा, जिसके लिए हमें दिल्ली जाना होगा। 11 पासपोर्ट और वीजा को रिन्यू कराना महंगा है। अगर सरकार हमें नागरिकता और पुनर्वास में मदद करती है, तो ये हमारे लिए बहुत अच्छा होगा...''

कांग्रेस ने अपने 2018 के 'जनघोषणा पत्र' में नागरिकता और पुनर्वास से जुड़ी उनकी समस्याओं का समाधान देने का वादा किया था। पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रवासियों के समग्र विकास के लिए एक अलग निकाय का गठन किया जाएगा। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने का वादा किया था।

जनवरी 2020 में, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोधपुर में पाकिस्तानी प्रवासियों से मुलाकात की, तो उन्होंने नए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लाने के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया।

बाद में एक सार्वजनिक रैली में, BJP नेता ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अपनी पार्टी के दृढ़ रुख को दोहराया और कहा कि वह इस मुद्दे पर एक इंच भी आगे नहीं बढ़ेगी।

सीमांत लोक संगठन (SLS) के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा, "BJP और कांग्रेस दोनों ने पाकिस्तानी प्रवासियों के मुद्दों को हल करने का वादा किया था। BJP ने एक पंक्ति में वादा किया था, जबकि कांग्रेस ने थोड़ा और वादा किया था।" सोढ़ा पाकिस्तान से विस्थापित हिंदू प्रवासियों के परिवारों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा, 2019 से राजस्थान में 75 प्रतिशत नागरिकता आवेदन लंबित हैं। सोढ़ा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने 2018 में अपने कार्यकाल के आखिर में पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के लिए स्पेशल हाउसिंग स्कीम शुरू की। उन्होंने कहा, आज तक, इसमें सिर्फ ये विकास हुआ है कि इसका नाम 'विनोबा भावे नगर' रखा गया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।

सोढ़ा ने कहा कि अकेले जोधपुर में 18,000 लोग रहते हैं, जिन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। वे जिले के तीन-चार इलाकों में बस गए हैं, जिनमें से ज्यादातर सूरसागर, गंगाना-झंवर रोड और मंडोर में हैं।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में ऐसे 30,000 लोग चोहटन, बाड़मेर, शेओ, जैसलमेर, कोलायत, खाजूवाला और श्रीगंगानगर समेत अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं।

सोढ़ा ने कहा कि जैसलमेर में रहने वाले पाकिस्तान के हिंदू प्रवासियों ने भारतीय नागरिकता वाले और बिना भारतीय नागरिकता वाले 250 परिवारों को समायोजित करने के लिए इस साल मई में जिला प्रशासन की तरफ से दी गई 40-बीघा जमीन पर एक बस्ती बनाई।

उन्होंने कहा, ये घटनाक्रम जैसलमेर में सरकारी जमीन से परिवारों को जबरन बेदखल करने और विपक्षी बीजेपी के हंगामे के बाद हुआ।

सोढ़ा ने कहा कि इसी तरह की एक घटना जोधपुर में हुई थी, जहां कथित तौर पर सरकारी जमीन पर प्रवासियों की तरफ से बनाए गए 70 निर्माणों को इस साल अप्रैल में ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन यहां राज्य सरकार से कोई सहानुभूति नहीं मिली।

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