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Rajasthan Election 2023: 'मैं चुप नहीं रहूंगी' क्या राजस्थान का ये चुनाव मिटा पाएगा भंवरी देवी का 30 साल पुराना दर्द?

Rajasthan Election 2023: विशाखा गाइडलाइंस (Vishaka guidelines) उस पीड़ा के बाद ही लागू हुईं थी, जिससे देवी गुजरी थीं। विडंबना यह है कि वह अब भी अपनी अपील पर सुनवाई के लिए नई तारीख का इंतजार कर रही हैं। राजस्थान में चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में अब अचानक भंवरी देवी में बहुत दिलचस्पी बढ़ गई है, नेता सामने आ रहे हैं और उन्हें न्याय दिलाने का वादा कर रहे हैं

अपडेटेड Nov 09, 2023 पर 8:23 PM
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Rajasthan Election 2023: क्या राजस्थान का ये चुनाव मिटा पाएगा भंवरी देवी का 30 साल पुराना दर्द?

Rajasthan Election 2023: जयपुर के एक छोटे से कमरे में भंवरी देवी (Bhanwari Devi) हाल ही में हुई दिल की सर्जरी से उबर रही हैं। डॉक्टर उन्हें जोर से न बोलने की सख्त हिदायत दी। लेकिन अगर उनके सामने आप 1992 का जिक्र करते हैं, तो वह जमकर भड़कती हैं। उस साल ने न केवल उनकी जिंदगी बदल दी, बल्कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का नजरिया भी बदल दिया, जिससे भारत में यौन उत्पीड़न कानून बना। हैरानी के बात ये है कि उन्हें खुद को ही न्याय नहीं मिला। वो भी तब, जब सुप्रीम कोर्ट ने वर्क प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।

विशाखा गाइडलाइंस (Vishaka guidelines) उस पीड़ा के बाद ही लागू हुईं थी, जिससे देवी गुजरी थीं। विडंबना यह है कि वह अब भी अपनी अपील पर सुनवाई के लिए नई तारीख का इंतजार कर रही हैं। राजस्थान में चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में अब अचानक भंवरी देवी में बहुत दिलचस्पी बढ़ गई है, नेता सामने आ रहे हैं और उन्हें न्याय दिलाने का वादा कर रहे हैं।

1992 में क्या हुआ था?


आइए 1992 की उस घटना पर एक नजर डालते हैं। शाम का समय था, जब देवी अपने पति के साथ जयपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर भटेरी गांव में अपने खेत में काम कर रही थीं। अचानक पांच लोग पहुंचे और उसके पति को पीटना शुरू कर दिया। फिर उन्होंने बारी-बारी से उनके साथ बलात्कार किया।

ये लोग जाति से गु्ज्जर थे और वे उस बात से नाराज थे कि देवी राज्य सरकार के कार्यक्रम के तहत बाल विवाह को रोकने की कोशिश कर रही थीं।

तीन सालों में, देवी का जीवन नरक बन गया, क्योंकि उन्हें ग्रामीणों और उनके ही परिवार के कई लोगों ने उनका बहिष्कार कर दिया था। हालांकि, उनके जीवन में अभी और भी मुश्किलें आना बाकी थीं। सबसे बड़ा झटका उन्हें तब लगा, जब 1995 तक सभी आरोपियों को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया गया।

देवी की आंखों में गुस्सा साफ झलकता है। वे कहती हैं, "मैंने क्या किया? मैं किसी से कुछ नहीं छीन रही थी। मैं केवल एक लड़की की जान बचा रही थी। मैं भी बाल विवाह का शिकार रही हूं। उन लोगों का क्या जिन्होंने मेरे साथ बलात्कार किया? कोई उन पर उंगली क्यों नहीं उठाता?”

आगामी चुनाव में महिला सशक्तीकरण पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। ऐसे में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से उन्हें उम्मीद जगी है।

उन्होंने आरोपियों के बरी किए जाने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर की है और मामला अभी भी लंबित है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारी भी उनसे मिलने पहुंचे हैं।

वह बताती हैं, “उनमें से एक ने मुझसे पूछा कि क्या मैं बलात्कार के बारे में आश्वस्त हूं। उन्होंने पूछा, "बूढ़े लोग आपका बलात्कार कैसे कर सकते हैं?"

उनके बेटे मुकेश, जो एक महिला अधिकार NGO के लिए काम करते हैं, उन्होंने कहा, “30 साल से ज्यादा समय हो सकता है, लेकिन न्याय का स्वागत है। मैं चाहता हूं कि मेरी मां का रुख सही साबित हो।”

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News18 के मुताबिक, भटेरी गांव में पुरुषों के समूह का दावा इसके उलट है और घटना के वक्त वे इसी इलाके में मौजूद थे। ये वही गांव है, जहां कथित तौर पर ये वारदात हुई थी।

उन्होंने पूछा, “कोई बलात्कार नहीं हुआ था। उसने ये कहानी खुद बनाई है। ये सिर्फ एक विवाद था। बूढ़े लोग उसका बलात्कार क्यों करना चाहेंगे? ऐसा क्यों है कि गांव में कोई भी उसके साथ खड़ा नहीं हुआ?”

देवी 'कुम्हार' समुदाय से हैं जो ओबीसी श्रेणी में आता है। न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे भारत में OBC वोटों पर तनाव के साथ, उनका दुख और गुस्सा मायने रखने लगा है।

हालांकि, देवी मानती हैं कि राजनीतिक मजबूरियां उनके लिए न्याय की राह में आ सकती हैं। हमलावर गुज्जर थे, जो राज्य के मतदाताओं का लगभग 10 प्रतिशत हैं।

उन्होंने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा, “मैं चुप नहीं रहूंगी। हम सभी को बोलना चाहिए। आपको भी बोलना चाहिए... हम महिलाएं चुप नहीं रह सकतीं। राजनीतिक शक्ति महत्वपूर्ण है। ये हमारा अधिकार है।" भंवरी देवी को न्याय के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। क्या आखिरकार उनकी अपील पर सुनवाई होगी?

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