राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक के बाद एक कई वेल्फेयर स्कीमों का ऐलान किया है। सवाल है कि क्या इन स्कीमों की बदौलत वह राज्य की सत्ता में वापसी करने में कामयाब होंगे? दूसरा बड़ा सवाल यह है कि क्या गहलोत और अशोक पायलट के बीच लंबे समय से जारी रस्साकशी का असर चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं पर पड़ेगा? राज्य में 25 नवंबर को वोटिंग होगी। कुल 200 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन चुनाव हो जाएंगे। इन चुनावों के नतीजों से कांग्रेस की ताकत, कमजोरी, मौके और चुनौतियों का पता चलेगा। हालांकि, राजनीति के जानकारों का कहना है कि लंबे समय बाद कांग्रेस मजबूत दिख रही है। पिछले साल मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है। हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में मिली जीत से पार्टी नेतृत्व के हौसले बुलंद लग रहे हैं।
गहलोत तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार उन्होंने राज्य के लोगों से सीधा संपर्क साधने की कोशिश की है। महिलाओं, किसानों, युवाओं सहित सबके लिए उन्होंने कोई न कोई नई स्कीम शुरू की है। उनका मानना है कि मतदाता उनके पांच साल के शासन को देखते हुए उन्हें एक बार और सरकार चलाने का मौका देंगे। उधर, राज्य के मुख्यमंत्री सचिन पायलट भले ही बहुत सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन राज्य के युवाओं के बीच उनकी अच्छी अपील है। अगर इस चुनाव में दोनों की ताकत मिल जाती है तो इसका पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है।
लेकिन, 2018 में गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद से उनके और पायलट के बीच जैसी खींचतान जारी रही है, उसे देखते हुए चुनावों के दौरान दोनों के एक साथ आने की संभावना कम ही दिखती है। खासकर, दोनों के बीच की इस खींचतान से पार्टी को जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई मुश्किल लग रही है। उधर, पार्टी ने राज्य इकाई को मजबूत बनाने की पहल देर से की है। राज्य के पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति जुलाई में हुई है। अगर यह पहले हुई होती तो कार्यकर्ताओं को चुनावी की तैयारी के लिए ज्यादा वक्त मिलता।
गहलोत सरकार ने जिन बड़ी स्कीमों के ऐलान किए हैं, उनमें 25 लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस प्रोग्राम शामिल है। मनरेगा की तर्ज पर एक शहरी रोजगार गारंटी स्कीम शामिल है। सरकार ने उज्ज्वला स्कीम के लाभार्थियों को सस्ती कीमत पर रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने की स्कीम का ऐलान किया है। महिलाओं को फ्री स्मार्टफोन और सोशल सिक्योरिटी अलाउन्स ऐसी स्कीमें हैं, जो मतदताओं को लुभा सकती हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि गहलोत ने ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से शुरू करने का ऐलान किया है। इसका फायदा राज्य के पांच लाख एंप्लॉयीज और उनके परिवार को मिलेगा। चुनावों में इसका लाभ गहलोत को मिल सकता है। हालांकि, यह स्कीम राज्य के खजाने के लिए ठीक नहीं है। लेकिन, सरकारें चुनाव जीतने के मकसद से राज्य की आर्थिक स्थिति की अनदेखी करती रही हैं। गहलोत के बाद कुछ और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने ओल्ड पेंशन स्कीम की वापसी का ऐलान किया है।