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Chaitra Navratri 2025: कब है कलश स्थापना? जानें नवरात्रि तिथियां और देवी पूजन का महत्व

Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, जो मां दुर्गा को समर्पित होता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की आराधना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और शुभ फल प्राप्त होते हैं। श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से व्रत और पूजा-अर्चना करते हैं

अपडेटेड Mar 17, 2025 पर 4:19 PM
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Navratri 2025: रविवार को नवरात्रि का आरंभ होने के कारण मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है।

होली के रंगों की खुशियां बीतते ही भक्तों की आस्था का रंग चढ़ने लगता है। श्रद्धालु चैत्र नवरात्रि, चैती छठ और राम नवमी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। चैत्र नवरात्रि न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे नए संकल्पों और सकारात्मक ऊर्जा का आरंभ भी माना जाता है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025 से हो रही है, जिससे भक्तों में खास उत्साह है। कहा जाता है कि इस दौरान की गई भक्ति और साधना विशेष फलदायी होती है। भक्त मां दुर्गा की उपासना में लीन होकर शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करेंगे।

नवरात्रि का ये पावन समय घरों में भक्तिमय वातावरण बना देता है, जहां माता के भजन गूंजते हैं और लोग उपवास व पूजा-पाठ में लीन हो जाते हैं। इस आध्यात्मिक पर्व की आहट से ही भक्तों के मन में एक नई ऊर्जा संचारित होने लगती है।

मां दुर्गा का आगमन और विदाई


रविवार को नवरात्रि का आरंभ होने के कारण मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है। इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन की बजाय केवल आठ दिनों की होगी। 6 अप्रैल को अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है, और इस दिन मां दुर्गा की विदाई भी हाथी पर ही होगी। ज्योतिष के अनुसार, देवी का हाथी पर आगमन और विदाई शुभ मानी जाती है, जो उन्नति, समृद्धि और आर्थिक प्रगति का संकेत देती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

30 मार्च को कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:12 बजे से 10:22 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक रहेगा।

महानवमी का विशेष महत्व

6 अप्रैल को श्रद्धालु महानवमी व्रत का पालन करेंगे, जो पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र में रहेगा। सुबह 9:40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा, इसके बाद पुष्य नक्षत्र शुरू होगा।

चार नवरात्रियों का महत्व

शास्त्रों में सालभर में चार नवरात्रों का वर्णन मिलता है:

  1. चैत्र नवरात्रि (बासंती नवरात्रि)
  2. आषाढ़ नवरात्रि (गुप्त नवरात्रि)
  3. आश्विन नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि)
  4. माघ नवरात्रि (गुप्त नवरात्रि)

गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ और माघ) तंत्र साधना के लिए विशेष मानी जाती हैं, जबकि चैत्र और शारदीय नवरात्रि का सामाजिक और धार्मिक महत्व अधिक होता है।

चैती छठ की तिथियां

चैत्र नवरात्रि के बाद लोक आस्था का पर्व चैती छठ 1 अप्रैल से शुरू होगा।

01 अप्रैल: नहाय-खाय

02 अप्रैल: खरना, चंद्रमा को अर्घ्य और 36 घंटे का निर्जला व्रत

03 अप्रैल: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

04 अप्रैल: उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन

चैत्र नवरात्रि 2025 कैलेंडर

30 मार्च – शैलपुत्री

31 मार्च – ब्रह्मचारिणी

01 अप्रैल – चंद्रघंटा

02 अप्रैल – कुष्मांडा 

03 अप्रैल – स्कंदमाता 

04 अप्रैल – कात्यायनी

05 अप्रैल – कालरात्रि

06 अप्रैल – महागौरी व सिद्धिदात्री (अष्टमी और नवमी एक साथ)

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा विशेष विधि से की जाती है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत, उपवास और हवन करके मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

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First Published: Mar 17, 2025 4:19 PM

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