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Chaitra Navratri 2025: शक्ति उपासना का महापर्व, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और देवी के प्रिय रंग

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र इस साल 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगा। इन नौ दिनों में विशेष पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे। नवसंवत्सर 2082 में राजा और मंत्री सूर्य होंगे। 6 अप्रैल को महानवमी पर पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा, इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होगी। देवी के प्रिय रंगों के अनुसार पूजन किया जाएगा और कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त तय किए गए हैं

अपडेटेड Mar 15, 2025 पर 10:00 AM
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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें विशेष पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान होंगे।

इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगी। यह नौ दिवसीय पर्व शक्ति उपासना, आत्मशुद्धि और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इन दिनों में भक्तगण मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे और घरों व मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान होंगे।  इस बार नवरात्रि के साथ ही नवसंवत्सर 2082 का शुभारंभ होगा, जिसमें सूर्य राजा और मंत्री रहेंगे, जो इसे विशेष रूप से शुभ बनाता है। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होगी और समापन रामनवमी व विजयादशमी के साथ होगा। इस दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ, हवन, कन्या पूजन और भव्य शोभायात्राएं आयोजित की जाएंगी।

महानवमी के दिन पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर भक्त मां दुर्गा की उपासना कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना करेंगे।

चैत्र नवरात्र का महत्व


सनातन धर्म में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को विशेष स्थान प्राप्त है। इसे सृष्टि की रचना का दिन माना जाता है, जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इस दिन पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन और धार्मिक अनुष्ठान करना शुभ माना जाता है। नवरात्रि को आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान लोग दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, बीज मंत्र जाप और भगवती पुराण का पाठ करते हैं।

महानवमी पर विशेष संयोग

इस बार महानवमी 6 अप्रैल को पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी, जिसमें विशेष भोग अर्पित किए जाएंगे, दुर्गा पाठ का समापन होगा, हवन, कन्या पूजन और पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। इस दिन रामनवमी का व्रत, शोभायात्रा और धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न होंगे। पुष्य नक्षत्र को मां लक्ष्मी से जुड़ा माना जाता है, इसलिए इस दिन भूमि, वाहन, आभूषण, रत्न खरीदने या नए व्यवसाय की शुरुआत के लिए उत्तम रहेगा।

देवी का आगमन और विदाई

देवी का आगमन: नवरात्र का पहला दिन रविवार को पड़ने से देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। इसका अर्थ है कि इस वर्ष पर्याप्त वर्षा, सुख-समृद्धि और आर्थिक उन्नति होगी।

देवी की विदाई: 7 अप्रैल को चैत्र शुक्ल विजयादशमी सोमवार को है, जिससे माता की विदाई महिष (भैंस) पर होगी।

देवी के प्रिय रंगों के अनुसार पूजन

चैत्र नवरात्र के दौरान नौ देवियों की पूजा उनके प्रिय रंगों के अनुसार की जाएगी:

मां शैलपुत्री – पीला

मां ब्रह्मचारिणी – हरा

मां चंद्रघंटा – पीला और हरा

मां कुष्मांडा – नारंगी

मां स्कंदमाता – सफेद

मां कात्यायनी – लाल

मां कालरात्रि – नीला

मां महागौरी – गुलाबी

मां सिद्धिदात्री – बैंगनी

श्रद्धालु इन्हीं रंगों के वस्त्र, पुष्प, अबीर और चंदन से देवी की पूजा करेंगे।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना का शुभ समय निम्नलिखित होगा:

प्रतिपदा तिथि: दोपहर 02:24 बजे तक

चर-लाभ-अमृत मुहूर्त: सुबह 07:17 बजे से 11:54 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:29 बजे से 12:19 बजे तक

शुभ योग मुहूर्त: दोपहर 01:27 बजे से 02:59 बजे तक

इस पावन अवसर पर देवी मां की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु विधिपूर्वक उपासना करें और नवरात्रि के इन नौ दिनों का आध्यात्मिक लाभ उठाएं।

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First Published: Mar 15, 2025 10:00 AM

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