हर साल होलिका दहन का पर्व उल्लास और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है, लेकिन इस बार तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इसका कारण है भद्राकाल, जो 13 और 14 मार्च को पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के प्रभाव में किया गया होलिका दहन अशुभ फल देता है, इसलिए इसे तभी करना चाहिए जब ये दोष समाप्त हो जाए। भद्राकाल को अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों का प्रतिकूल प्रभाव जीवन पर पड़ सकता है। इस काल में गृह निर्माण, विवाह, यात्रा, आर्थिक लेन-देन और नई खरीदारी वर्जित होती है।
लेकिन चिंता की बात नहीं। इस दौरान कुछ उपाय अपनाकर नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि भद्राकाल में क्या करें और किन कार्यों से पूरी तरह बचें, ताकि होलिका दहन का पर्व हमें पूर्ण शुभता और सकारात्मकता प्रदान करे।
भद्राकाल में किन कार्यों से बचें?
- नया निर्माण और गृह प्रवेश न करें
भद्राकाल के दौरान किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को रोक देना चाहिए। अगर घर बनवाने का कार्य चल रहा है तो इस दौरान छत डालने या नींव रखने जैसे कार्य टालने चाहिए। इस समय गृह प्रवेश करना भी शुभ नहीं माना जाता।
- विवाह और शुभ कार्य स्थगित करें
भद्राकाल में शादी-विवाह या किसी अन्य मंगल कार्य को फाइनल करना हानिकारक हो सकता है। इस समय शुभ कार्यों का आयोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये वैवाहिक जीवन और परिवार के लिए बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।
व्यापारी वर्ग के लोगों को इस दौरान नई डील फाइनल करने या व्यापार के विस्तार की योजना बनाने से बचना चाहिए। यह आर्थिक हानि और असफलता का कारण बन सकता है।
इस दौरान लंबी या छोटी दूरी की यात्रा नहीं करनी चाहिए। विशेष रूप से धार्मिक यात्रा या व्यावसायिक दौरे को टाल देना ही बेहतर होता है, क्योंकि भद्राकाल में की गई यात्राएं कष्टकारी मानी जाती हैं।
भद्राकाल में धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए। इस दौरान किसी को उधार देना या किसी से कर्ज लेना आर्थिक हानि का कारण बन सकता है।
- नया वाहन या संपत्ति न खरीदें
इस अवधि में किसी भी प्रकार की नई खरीदारी जैसे – गाड़ी, मकान, जमीन आदि को टाल देना चाहिए। ये भविष्य में नुकसान और परेशानी ला सकता है।
- भगवान विष्णु और कुल देवता की पूजा करें
भद्राकाल के प्रभाव से बचने के लिए भगवान विष्णु, कुल देवी-देवता और गुरु मंत्र का जप करें। इससे नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है और जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
- महामृत्युंजय और शनि मंत्र का जप करें
भद्राकाल में महामृत्युंजय मंत्र और शनि मंत्र का जप करना शुभ फलदायी होता है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- बहनों और बुआ-मौसी को उपहार दें
शास्त्रों में कहा गया है कि भद्राकाल में अपनी बहन, बुआ या मौसी को उपहार देना अत्यंत शुभ होता है। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- अंतिम संस्कार में विशेष विधि अपनाएं
अगर भद्राकाल के दौरान किसी का अंतिम संस्कार करना पड़े, तो शास्त्रीय विधान के अनुसार, पांच कुश के पुतले बनाकर उनका भी साथ में दाह संस्कार करना चाहिए। ऐसा करने से भद्राकाल का दोष समाप्त हो जाता है और मृत आत्मा को शांति मिलती है।