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'क्या सस्ते रूसी तेल के लिए भारी टैरिफ का बोझ उठाना सही?' भारत-अमेरिका व्यापार तनाव पर बोले नोबेल विजेता अर्थशास्त्री

US India trade tensions: नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का कहना है कि सरकार को विचार करना चाहिए कि उसके लिए रूसी तेल ज्यादा अहम या अमेरिकी बाजार। ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने से 27 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर खतरा है और झींगा उद्योग ने वित्तीय मदद की मांग है। जानिए पूरी डिटेल।

Edited By: Suneel Kumarअपडेटेड Aug 10, 2025 पर 9:09 PM
'क्या सस्ते रूसी तेल के लिए भारी टैरिफ का बोझ उठाना सही?' भारत-अमेरिका व्यापार तनाव पर बोले नोबेल विजेता अर्थशास्त्री
दुनिया में रूसी क्रूड के सबसे बड़ा आयातक भारत ने जुलाई में 16 लाख बैरल प्रति दिन खरीदा।

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का कहना है कि भारत को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या रूस से सस्ते तेल के बदले अमेरिका से भारी टैरिफ का बोझ उठाना सही है। उनके ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते भारत पर 25% का एस्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसकी वजह भारत की ओर से लगातार सस्ते रूसी तेल की खरीदारी है।

अब भारतीय सामानों पर अमेरिका में कुल शुल्क 50% हो जाएगा। यह ट्रंप द्वारा किसी भी देश पर लगाए गए सबसे अधिक टैरिफ में से एक है। नया टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चर्चा में चल रहा द्विपक्षीय व्यापार समझौता अब भी अटका है। इसकी बड़ी वजह यह है कि अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी बाजारों में अधिक पहुंच चाहता है।

27 अरब डॉलर के निर्यात पर खतरा

बनर्जी ने बीएमएल मुंजाल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के इतर समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “हमें गंभीरता से सोचना चाहिए कि क्या रूसी तेल आयात इतनी भारी कीमत चुकाने लायक है। या फिर हमें अमेरिका से कहना चाहिए कि अगर हम रूसी तेल आयात बंद कर दें तो क्या वे (टैरिफ) हटा देंगे।”

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