मनी लॉन्ड्रिंग और शेल कंपनियों के रूप में अपनी पहचान को दूर करने के लिए मॉरीशस वर्षों से कोशिश कर रहा है। हालांकि एक बार फिर यह इसी को लेकर चर्चा में आ गया है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने गौतम अदाणी के भाई विनोद और उनके सहयोगियों पर मनी लांड्रिंग और शेयर प्राइस मैनिपुलेशन के लिए मॉरीशस के रास्ते के इस्तेमाल का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कैरेबिया से लेकर यूएई तक शेल कंपनियों के जाल का जिक्र किया गया है लेकिन आगे यह भी कहा गया है कि मॉरीशस की ऑफशोर कंपनियों ने अधिक बड़ी भूमिका निभाई। आइए जानते हैं कि अदाणी ग्रुप पर मॉरीशस कनेक्शन का क्या आरोप है, इस पर ग्रुप का क्या कहना है और वहां की सरकार का क्या कहना है?
38 कंपनियों का कनेक्शन मॉरीशस से
अमेरिकी शॉर्ट सेलर का आरोप है कि विनोद अदाणी से जुड़ी 38 कंपनियां मॉरीशस में स्थित हैं। हिंडनबर्ग का दावा है कि इनमें से कुछ का इस्तेमाल भारत से पैसों को घुमाने में किया जाता था और इसके बाद फिर इन पैसों का इस्तेमाल अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ाने में किया जाता था। अमेरिकी शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट जाने के पहले पिछले पांच वर्षों में अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर जमकर उछले।
सबसे ज्यादा तो इसकी फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) में रही जो 2600 फीसदी उछला जो निफ्टी 50 इंडेक्स की तुलना में 41 गुना अधिक रहा। हालांकि 24 जनवरी को जारी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर ग्रुप ने 29 जनवरी को 413 पेज के जवाब में कहा कि ग्रुप के हर दिन के कामों में विनोद अदाणी की कोई भूमिका नहीं है। ग्रुप के मुताबिक विदेशी कंपनियां अदाणी ग्रुप की कंपनियों में पब्लिक शेयरहोल्डर्स हैं और किसी भी रूप में इनका प्रमोटर्स से इनका कोई संबंध नहीं है।
मॉरीशस का दावा, यह टैक्स हैवेन नहीं
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ऐसे समय में जारी हुई है जब मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेज और गुड गवर्नेंस मिनिस्टर महेन कुमार सीरुट्टुन भारत आने वाले थे। फरवरी में ब्लूमबर्ग न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अदाणी ग्रुप ने उनके देश के सभी नियमों का पालन किया है और उनकी सरकार इस मामले में यानी हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच के मामले में भारतीय अथॉरिटीज का पूरा सहयोग करेगी। मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन के पूर्व चीफ एग्जेक्यूटिव Dhanesswurnath Thakoor ने मॉरीशस को टैक्स हैवेन के रूप में माने जाने से इनकार किया था। ठाकूर के मुताबिक उनके यहां 15 फीसदी कॉरपोरेट रेट है जबकि ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में कोई टैक्स नहीं है।
मॉरीशस में कारोबार रजिस्टर करना अवैध नहीं
मॉरीशस जैसे कम टैक्स वाले देश में अपने कारोबार को रजिस्टर करना अवैध तो नहीं है लेकिन इसका जिस तरीके से इस्तेमाल किया जाता रहा है, उसके बारे में काफी सवाल उठे हैं। केतन पारेख ने मॉरीशस की शेल कंपनियों के जरिए पैसों को घुमाकर 1998 से 2001 के बीच यहां कुछ शेयरों को आसमान पर लेकर चला गया था। इस स्कैंडल ने पूरे मार्केट को हिला दिया था। मॉरीशस अपनी इस छवि को दूर करना चाहता है लेकिन अब अदाणी ग्रुप की कंपनियों पर आरोपों ने फिर इसे बहस के केंद्र में ला दिया है।
पिछले साल यूरोपीय यूनियन ने पिछले साल ही इसे उन देशों की काली सूची से हटा दिया था जिन्हें वह एंटी मनी लांड्रिंग और आतंकियों को पैसे भेजने के रास्ते के रूप में कमजोर मानता है। ऐसे में द फ्लेचर स्कूल के डीन (ग्लोबल बिजनेस) भास्कर चक्रवर्ती का मानना है कि अदाणी ने मॉरीशस की शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया, यह आरोप भारतीय संदर्भ में सामान्य नहीं है। हालांकि मॉरीशस की तमाम कोशिशों के बावजूद ये हुआ तो यह भी सामान्य नहीं है।