दिग्गज माइनिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) के कर्जों को लेकर क्रेडिट मार्केट में लांग टर्म चिंता दिख रही है। हालांति अनिल अग्रवाल की इस कंपनी ने एक योजना तैयार की है जिससे कंपनी में कैश फ्लो बढ़ेगा और बॉन्ड बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस योजना पर वेदांता की भारतीय इकाई अगले हफ्ते शेयरधारकों की मंजूरी लेने की कोशिश करेगी। जानकारी के मुताबिक कंपनी के शेयरधारक 11 अक्टूबर को योजना मतदान करेंगे।
कंपनी ने योजना तैयार की है कि वह अपने रिजर्व से पैसे निकालेगी और इसे बैलेंस शीट में डालेगी। माना जा रहा है कि इसका इस्तेमाल डिविडेंड के तौर पर किया जा सकता है। वेदांता की भारतीय इकाई से मिला डिविडेंड इसकी लंदन की मूल कंपनी के लिए कर्ज चुकाने के लिए अहम स्रोत बन चुका है। वेदांता रिसोर्सेज को डिविडेंड मिलता है तो यह अगले साल 2023 में ड्यू 90 करोड़ डॉलर के नोट्स के कुछ हिस्से के लिए टेंडर ऑफर निकाल सकती है।
आईडीबीआई कैपिटल मार्केट के रिसर्च हेड एके प्रभाकर का मानना है कि कंपनी की योजना को शेयरधारकों से मंजूरी मिलने की संभावना बहुत अधिक है क्योंकि इसके तहत डिविडेंड भी मिलने के आसार हैं। वहीं वेदांता रिसोर्सेज के कुछ बॉन्ड करने वाली Haitong International Asset Management का मानना है कि अगर वेदांता बड़ी मात्रा में डिविडेंड का ऐलान करती है तो इस बात की संभावना बहुत कम है कि कंपनी इस साल नोट्स का कॉल बैक करे या अगले साल ड्यू बॉन्ड्स के लिए आंशिक या पूर्व रूप से फुल बॉयबैक ऑफर लेकर आए।
दस साल में बढ़ गया कर्ज का बोझ
68 वर्षीय अनिल अग्रवाल ने मेटल स्क्रैप के कारोबारी से शुरू की थी और उन्होंने 20 साल से अधिक समय में एक बड़ा एंपायर खड़ा कर दिया। वेदांता रिसोर्सेज एलुमिनियम और जिंक का उत्पादन करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। हालांकि इसी दौरान ग्रुप के तेज विस्तार ने इस पर कर्ज का भारी बोझ भी डाल दिया। इस पर करीब 1170 करोड़ डॉलर का कर्ज है। मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने अपनी अगस्त की रिपोर्ट में इसकी कमजोर लिक्विडिटी को लेकर चिंता जताई थी।