Adani Group Stocks: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenberg Research) की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे पड़े हैं। वैल्यूएशन गुरु अश्वथ दामोदरन का मानना है कि सभी दिक्कतों के बावजूद इंफ्रास्ट्रक्चर स्पेस में अडानी ग्रुप मजबूत स्थिति में बना रहेगा जिसमें इसके टक्कर के प्लेयर्स नहीं हैं। दामोदरन ने अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों के लिए फेयर वैल्यू 947 रुपये (Adani Enterprises Fair Value) पर फिक्स किया है। दामोदरन के मुताबिक हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के स्टॉक्स की वैल्यू को Over-levered कहा है लेकिन यह धोखाधड़ी नहीं बल्कि एक इक्विटी निवेशकों के लिए एक रिस्क है जिसे अधिक रिटर्न हासिल करने के लिए उन्हें उठाना होता है।
Adani Enterprises की फेयर वैल्यू 947 रुपये
दामोदरन ने रेवेन्यू ग्रोथ और ऑपरेटिंग मार्जिन में पॉजिटिव अनुमानों को भी शामिल करते हुए अडानी एंटरप्राइजेज की शेयर वैल्यू महज 947 रुपये फिक्स किया है जो मौजूदा भाव से 37 फीसदी डाउनसाइड है। इसके शेयर अभी बीएसई पर 5.79 फीसदी कमजोर होकर 1492.40 रुपये के भाव में मिल रहे हैं। इसकी फेयर वैल्यू इतना कम होने का कारण वह यह बताते हैं कि कंपनी मुनाफे के मामले में पिछड़ गई है। मुनाफा कम होने की वजह ये हैं कि कंपनी ने जो निवेश किया है, उसका फायदा मिलने में समय लगेगा और इसके अलावा यह ऐसे कारोबार में है जिसमें मार्जिन कम है।
Adani Group के कर्ज का क्या ट्रेंड
दामोदरन ने अडानी ग्रुप के कारोबार के 20 साल को तीन हिस्सों में बांटा है। पहला 2002-2015 जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज का रेवेन्यू लगातार बढ़ता रहा। इसके बाद 2016-2021 के बीच अडानी पोर्ट्स, अडानी पॉवर और अडानी ट्रांसमिशन जैसे अहम कंपनियों के रूप में इसे रीस्ट्रक्चर किया गया। अब कंपनी ने एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स में होल्सिम की हिस्सेदारी खरीद ली। इस पूरी अवधि के दौरान डेट-टू-बुक कैपिटल रेश्यो हाई बना रहा लेकिन 2021 और 2022 में मार्केट कैप में उछाल से इसमें गिरावट आई। दामोदरन के मुताबिक इस मामले में इंटेरेस्ट कवरेज रेश्यो बेहतर मानक है कि कंपनी पर कितना कर्ज है क्योंकि इंटरनेट खर्चों के मुकाबले ऑपरेटिंग इनकम मुश्किल से ही अधिक है।
सीमित शेयरों के चलते भाव मे उछाल
वैल्यूएशन गुरु के मुताबिक अडानी ग्रुप की कंपनियों में अडानी परिवार की 73 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है। 27.5 फीसदी हिस्सेदारी में ज्यादातर हिस्सा विदेशी संस्थागत निवेशकों के पास है और इसमें से अधिकतर इंडेक्स फंड होल्डिंग्स के जरिए है। दामोदरन के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के जरिए भारतीय ग्रोथ, इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट और इंडियन पॉलिटिक्स से शानदार रिटर्न हासिल करना चाहते हैं। दामोदरन के मुताबिक बाजार में शेयरों की सीमित संख्या में उपलब्धता के चलते इसके भाव में उछाल आई।
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