भारतपे (BharatPe) के कोफाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) ने कंपनी से बाहर निकलने के समझौते के तहत अपने खिलाफ भविष्य में किसी भी तरह की कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की है। अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
अशनीर ग्रोवर के तरफ से यह प्रस्ताव ऐसे समय में रखा गया है, जब उन्होंने भारतपे में अपनी 9.5% हिस्सेदारी बरकरार रखने के लिए कंपनी के बोर्ड और शेयरधारकों के साथ जारी लंबी लड़ाई के बीच सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) में मध्यस्थता याचिका दायर की है।
मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि ग्रोवर इन बातचीत में बोर्ड और कंपनी के साथ समझौता करने के अपने इरादे को सक्रिय रूप से संकेत दे रहे हैं। यह इस बदलाव को दिखाता है कि कैसे दोनों पक्ष अब अपने बीच के विवादों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, जो करीब दो महीने से सार्वजनिक तौर पर जारी है।
रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है, "पिछले हफ्ते बातचीत हुई थी और उन्होंने (ग्रोवर) ने जिक्र किया था कि वह भविष्य की कार्रवाई से सुरक्षा का अधिकार चाहते हैं, ताकि ऐसा नहीं हो कि मौजूदा विवाद के निपटारे के बाद मुकदमा शुरू किया जाए।" शख्स ने आगे कहा, "मूल विचार यह है कि कम से कम कानूनी लड़ाई की संभावना के साथ समझौते पर पहुंचा जाए। सभी को पता है कि एक बार कानूनी लड़ाई शुरू होने के बाद इसमें महीनों लगता है और इस पूरी अवधि में सभी पक्षों को लगातार शामिल होना पड़ता है, जो कंपनी के लिए अच्छा नहीं है।"
ताजा घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब कंसल्टिंग फर्म अल्वरेज एंड मार्सल (A&M) ने फॉरेंसिक ऑडिट की प्रांरभिक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के कई हिस्से पिछले महीने ही लीक होकर पब्लिक डोमन में आ गए थे। इकनॉमिक टाइम्स की 4 फरवरी में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में भारतपे की कंट्रोलर और अशनीर ग्रोवर की पत्नी माधुरी जैन, उनके भाई श्वेतांक जैन और उनके बहनोई दीपक जगदीशराम गुप्ता द्वारा कंपनी में किए कुछ वित्तीय अनियमिताओं का पता चला है।
इसके बाद ऐसी भी रिपोर्टें आईं कि भारतपे “फ्रॉड” में लिप्त होने के कारण कंपनी की हेड ऑफ कंट्रोल माधुरी जैन से इक्विटी वापस लेने की तैयारी कर रही है। इस मामले में इनवेस्टिगेटर्स और वकीलों ने जैन से लगभग छह घंटे तक पूछताछ भी की थी। एक सूत्र ने कहा, “ऐसा लगता है कि इनवेस्टिगेटर्स कथित फाइनेंशियल फ्रॉड में उनकी भूमिका के संबंध में एक नतीजे पर पहुंच गए हैं। इसलिए, आर्टिकिल्स ऑफ एसोसिएशन के प्रावधानों के तहत उनसे इक्विटी वापस ली जा रही है।”
पिछले महीने मनीकंट्रोल को दिए गए एक इंटरव्यू में अशनीर ने बोर्ड के गवर्नेंस रिव्यू कराने की मंशा पर सवाल उठाया था। तब अशनीर ग्रोवर ने कहा था, "बोर्ड से मेरा सवाल ये है। आखिर उन्हें पहले ही गवर्नेंस रिव्यू कराने की जरूरत क्यों महसूस हुई।" ग्रोवर ने तब ये भी कहा था कि आखिर ऑडिट रिपोर्ट मीडिया में कैसे लीक हुई। इससे पहले Alavarez and Marsel सोशल मीडिया पर ऑडिट रिपोर्ट का कुछ हिस्सा सर्कुलेट कर रहे थे।
अशनीर ग्रोवर ने इंटरव्यू में ये भी कहा था, "अगर बोर्ड सही ढंग से ऑडिट करवा रहा है तो मीडिया में ये रिपोर्ट कैसे लीक हो रही हैं? क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि कोई कंपनी गवर्नेंस रिव्यू कर रही हो और जो शख्स ये रिव्यू कर रहा हो उसे सार्वजनिक कर दिया जाए? ये सब बातें गुप्त रखी जाती हैं। यहां बोर्ड खुद सामने से कह रहा है कि हम इस शख्स से रिव्यू करा रहे हैं।"