जर्मनी की कंपनी रॉबर्ट बॉश GmbH बड़े पैमाने पर नौकरियों में कटौती करने जा रही है। इसके अलावा लगभग 10,000 कर्मचारियों के काम के घंटों में भी कटौती की जाएगी, जिससे सैलरी कॉस्ट घटेगी। ऑटो पार्ट्स की मांग में कमी के चलते ऐसा किया जा रहा है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है कि प्रभावित कर्मचारियों का वर्किंग वीक 38 या 40 घंटों से घटाकर 35 घंटे कर दिया जाएगा। इससे सैलरी में लगभग 12.5 प्रतिशत कटौती होगी।
ये उपाय अगले साल मार्च से जर्मनी के गेरलिंगन में बॉश के हेडक्वार्टर में लागू किए जाएंगे, साथ ही श्वाएबिश-गमेंड और श्वीबरडिंजेन की फैसिलिटीज के लिए भी इसी तरह के कदम उठाए जाने का प्लान है। बॉश के प्लान्स के बारे में सबसे पहले डॉयचे प्रेस एजेंटूर ने रिपोर्ट दी थी।
5,500 नौकरियों में कर रही कटौती
बॉश, रेवेन्यू के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोटिव सप्लायर है। कंपनी नई कारों की घटती मांग से जूझते हुए वैश्विक स्तर पर 5,500 नौकरियों में कटौती कर रही है। बॉश की मौजूदगी भारत में भी है और इसका ऑफिस बेंगलुरु में है। ग्लोबल लेवल पर छंटनी होने पर हो सकता है कि भारत में बॉश के कर्मचारी भी इसके दायरे में आएं। मांग में कमी के चलते इसे ऑटोमेटेड ड्राइविंग और कार स्टीयरिंग प्रोडक्ट्स का उत्पादन घटाना पड़ रहा है। कॉन्टिनेंटल एजी और जेडएफ फ्रेडरिकशफेन एजी भी संकट से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रही हैं।
दुनिया भर में चलने वाले लगभग सभी 1.5 अरब व्हीकल्स में बॉश के पुर्जे इस्तेमाल किए जाते हैं। यह स्पार्क प्लग से लेकर ऑटोमेटेड ड्राइविंग सॉफ्टवेयर तक सब कुछ बनाती है। बॉश ने नई तकनीकों में भारी निवेश किया है।