दिसंबर, 2020 में लंदन हाई कोर्ट ने अबूधाबी कमर्शियल बैंक (एडीसीबी) के एक अनुरोध पर एनएमसी ग्रुप के फाउंडर डॉ. बी. आर. शेट्टी और उनके पांच प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ वर्ल्डवाइड फ्रीजिंग ऑर्डर (freezing order) जारी कर दिया था। एडीसीबी, एनएमसी ग्रुप की सबसे बड़ी लेनदार है। जस्टिस सिमोन ब्रायन ने एसेट्स को गायब करने सहित अन्य संभावित कारणों से फ्रीजिंग ऑर्डर जारी किया है। ब्रिटेन में एक सिविल कोर्ट द्वारा दिया जाने वाला फ्रीजिंग ऑर्डर एक व्यक्ति को बैंक या अन्य स्रोतों से पैसे निकालने पर रोक लगाता है।
इस आदेश के एक साल बाद, डॉ. बी. आर. शेट्टी और अन्य 1 अरब डॉलर के फ्रीजिंग ऑर्डर को रद्द कराने के लिए यूके की कोर्ट में लौट आए हैं। उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि बैंक द्ववारा किए गए धोखाधड़ी के दावे की सुनवाई यूएई में होनी चाहिए, न कि इंग्लैंड में।
इस तरह, डॉ. शेट्टी, विजय माल्या और प्रमोद मित्तल की लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जो लंदन में उनके लेनदारों द्वारा की गई कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। इत्तिफाक से माल्या और मित्तल दोनों को यूके की अदालतें दिवालिया घोषित कर चुकी हैं।
इस मामले में 29 नवंबर, 2021 को जज मार्क पेलिंग के सामने चार दिवसीय वर्चुअल सुनवाई शुरू हुई, जिसमें डॉ. शेट्टी के वकीलों, यूएई के चर्चित कारोबारी खलीफा-अल-मुहाइरी बुट्टी व सईद अल-किबैसी बुट्टी जो एनएमसी में प्रमुख शेयरधारक और डायरेक्टर हैं और पूर्व सीईओ व डायरेक्टर प्रशांत मंगत अपने प्रस्तुतीकरण दिए। इसके साथ ही आगे एक बड़ी, जटिल और बहुआयामी कानूनी जंग झलक दिखाई दी।
एनएमसी की बड़े लेनदारों में से एक एडीसीबी ने आरोप लगाया कि जानबूझकर गलतबयानी और साजिश के द्वारा छह क्रेडिट फैसिलिटीज के माध्यम से 1 अरब डॉलर लिए गए थे।
शेट्टी : पीड़ित या अपराधी?
दिलचस्प है कि भारत में मौजूद डॉ. शेट्टी बैंक ऑफ बड़ौदा, अर्न्स्ट एंड यंग को मना रहे हैं। वहीं न्यूयॉर्क सिटी में मौजूद प्रशांत मंगत और उनके भाई प्रमोद जो एनएमसी पीएलसी में सीनियर एग्जीक्यूटिव भी हैं, दावा कर रहे हैं कि वह खुद एक फ्रॉड के शिकार हुए हैं। यूके में चल रही अदालती कार्यवाही में डॉ. शेट्टी का भी यही रुख है कि उनके संबंध एडीसीबी में दी गई गारंटी जाली थीं।
डॉ. शेट्टी 1973 में कर्नाटक से यूएई पहुंचे थे। यहां उन्होंने एनएमसी ग्रुप की स्थापना की, जो क्षेत्र में सबसे बड़े हैल्थकेयर प्रदाताओं में से एक बन गया। जल्द ही कंपनी एफटीएसई 100 इंडेक्स में लिस्ट हो गई।
फ्रॉड और मिसमैनेजमेंट के लगे थे आरोप
कंपनी की मुश्किलें दिसंबर, 2019 में उस समय बढ़ गईं, जब अमेरिका की एक कंपनी मड्डी वाटर्स ने उससे जुड़े फ्रॉड्स और मिसमैनेजमेंट के आरोप लगाए। कंपनी ने अपने एनालिसिस में कहा था कि उसे नहीं मालूम एनएमसी में किस हद तक गड़बड़ियां हैं, लेकिन हमें नहीं लगता कि उसके अधिकारियों और उसके फाइनेंशियल्स पर भरोसा किया जा सकता है।
इसके बाद एनएमसी के शेयर की कीमत में भारी गिरावट आई। अगले कुछ महीनों के बीतर मड्डी वाटर्स के कई बातों को लेकर सवाल उठाने से पता चला कि एनएमसी ग्रुप पर लगभग 4.37 अरब डॉलर से 5.352 अरब डॉलर के बीच कर्ज था। इसमें से ज्यादातर रकम प्रमुख शेयरधारकों और सीनियर मैनेजमेंट की जेब में गई थी। इसके बाद कई न्यायालयों में उसके खिलाफ मामले शुरू हो गए।
इंग्लैंड में लीगल प्रोसीडिंग
वकीलों की जिरह के बाद जज पेलिंग ने कहा, यह कहना गलत नहीं होगा कि एनएमसी ग्रुप की मुश्किलें उसकी अंदरूनी कमजोरियों या बिजनेस मॉडल की वजह से नहीं, बल्कि फ्रॉड की वजह से हैं। इस फ्रॉड के लिए समूह से जुड़े लोग जिम्मेदार हैं।