Budget 2022 Expectation: उद्योग जगत को 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से कई उम्मीदे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ऐसे वक्त बजट (Budget 2022) पेश करने जा रही है, जब कोरोना (Corona) की मार से बेहाल अर्थव्यवस्था (Indian Economy) उबरने की कोशिश कर रही है। इंडस्ट्री चैंबर्स ने वित्त मंत्री के साथ बजट से पहले हुई वर्चुअल बैठक में अपनी उम्मीदों से उन्हें अवगत करा दिया है। चैंबर्स ने वित्त मंत्री को आर्थिक सुधार (Economic Reforms) जारी रखने के अलावा कई तरह के सुझाव दिए। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इंडस्ट्री चैंबर्स (Industry Chambers) का मानना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था कोरोना की चोट से उबरने की कोशिश कर रही है। ऐसे में बजट में अगर आर्थिक सुधार के उपाय किए जाते हैं तो आर्थिक रिकवरी की रफ्तार तेज होगी। वित्त मंत्री को निवेश को बढ़ावा देने वाले उपायों पर बजट में फोकस करने की जरूरत है। सीआईआई (CII) के प्रेसिडेंट टीवी नरेंद्रन का मानना है कि सरकार को खुद इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना चाहिए। इससे ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।
नरेंद्रन ने कहा, "इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर (Infrastructure sector) पर खर्च बढ़ाने का सीधा असर इकोनॉमी के बाकी सेक्टर पर भी पड़ता है। इसलिए सरकार को इसके रास्ते तलाशने चाहिए। सरकार को म्युनिसिपल बॉन्ड मार्केट को बढ़ावा देना चाहिए। इससे शहरी लोकल बॉडीज (Urban local bodies) इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश के लिए खुद फंड जुटा सकेंगी।"
इंडस्ट्री चैंबर एसचैम का मानना है कि सरकार को 'विवाद से विश्वास' स्कीम (Vivad se Vishawas Scheme) की समयसीमा बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा सीमा शुल्क से जुड़े मसलों के निपटारा के लिए भी एक स्कीम लानी चाहिए। एसोचैम के प्रेसिडेंट विनीत अग्रवाल ने कहा, "हम 'विवाद से विश्वास' स्कीम के लिए सरकार की सराहना करते हैं। इस स्कीम से बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटारे में मदद मिली है।
इंडस्ट्री चैंबर्स के साथ वित्त मंत्री की बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और भगवत कराड ने भी हिस्सा लिया। इनके अलावा फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, डीआईपीएएम सचिव तुहिन कांत पांडेय सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
बैठक में पीएचडी चैंबर ने पर्फॉर्मेंस बैंक गारंटी (PBG) और अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EDM) को और एक साल बढ़ाने का सुझाव दिया। सरकार ने कोरोना की महामारी के दौरान पर्फॉर्मेंस सिक्योरिटी को 5-10 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया था। अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट में भी ढील दी गई थी। ये दोनों रियायतें 31 दिसंबर, 2021 को खत्म हो गई हैं।