बजट 2022: निर्मला सीतारमण ने विकास के रास्ते रोजगार पर लगाया निशाना, क्या बनेगी इससे बात

वित्त मंत्री ने अपने लक्ष्य का खुलासा करते हुए कहा कि सरकार का अगला लक्ष्य 60 लाख रोजगार पैदा करना है और इसके लिए बजट में जिन 4 प्राथमिकताओं की घोषणा की गई है, वे सब किसी न किसी रूप में रोजगार सृजन का माध्यम बनेंगे

अपडेटेड Feb 03, 2022 पर 2:45 PM
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Budget 2022: जानिए रोजगार के लिए बजट में क्या अहम फैसले लिए गए हैं

भुवन भास्कर

आम बजट 2022-23 इस मामले में अनूठा है कि इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अर्जुन की तरह मछली की आंख को छोड़कर और कुछ भी देखने से इंकार कर दिया है। चौतरफा यह माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों के चुनावों को देखते हुए यह बजट लोकप्रिय घोषणाओं से भरा होगा। लेकिन लोकप्रिय घोषणाओं की तो बात ही छोड़िए, मतदाताओं को सामान्य राहत देने के नाम पर हुई घोषणाएं भी लेंस लगाकर ढूंढने की जरूरत पड़ रही है। बजट के पहले से लेकर आखिरी अक्षर तक मछली की जिस एक आंख पर सीतारमन ने बार-बार निशाना लगाया है, वह है – रोजगार। और इस रोजगार के लिए सरकार ने विकास को माध्यम बनाया है।

आम तौर पर सरकारों का अप्रोच यह रहता है कि निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को राहत दी जाती है, उपभोक्ताओं की मांग में बढ़ोतरी करने के लिए या तो कर्ज सस्ता किया जाता है या फिर वस्तुएं सस्ती की जाती हैं। लेकिन सीतारमन ने इस बजट में सारी परंपराएं और सामान्य गुणा-गणित को ध्वस्त कर दिया है।


निवेश का पूरा बीड़ा सरकार के कंधे पर उठाते हुए सरकारी पूंजीगत व्यव में 35.4% की वृद्धि कर इसे 7.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा दिया गया है। यह रकम जीडीपी का 2.9% है। यदि 2019-20 की तुलना में देखें तो यह वृद्धि 2.2 गुना है। जाहिर है सरकार इस भारी भरकम खर्च के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर अंधाधुंध खर्च करने जा रही है और उम्मीद कर रही है, कि इससे जो बिजनेस फ्रेंडली वातावरण बनेगा, वह उद्योग जगत को भी निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा।

वित्त मंत्री ने अपने लक्ष्य का खुलासा करते हुए कहा कि सरकार का अगल लक्ष्य 60 लाख रोजगार पैदा करना है। बजट में जिन 4 प्राथमिकताओं की घोषणा की गई है, वे सब किसी न किसी रूप में रोजगार सृजन का माध्यम बनेंगे। PM गतिशक्ति के तहत रोड, रेलवे, हवाईअड्डे, बंदरगाह, सार्वजनिक परिवहन, जलमार्ग और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधार बनाया गया है और एक विश्वस्तरीय आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान बनाने की बात कही गई है। एक्सप्रेसवे के लिए भी एक मास्टर प्लान बनाया जाएगा और अगले वित्त वर्ष के दौरान 25000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण होगा।

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ये तमाम परियोजनाएं स्वयं से तो रोजगार के मौके तैयार करेंगी ही, लेकिन इनके कारण जो पूरा इकोसिस्टम विकसित होगा, उससे भी रोजगार के लाखों मौके पैदा होंगे। सरकार ने राज्यों के लिए 1 लाख करोड़ के ब्याज मुक्त बॉन्ड जारी करने की भी घोषणा की ताकि पूंजीगत व्यय के लिए उन्हें फंड सुनिश्चित किया जा सके। GST एक्ट के मुताबिक जुलाई 2022 से राज्यों को टैक्स में कमी का मुआवजा मिलना बंद हो जाएगा। ऐसे में उन्हें दिया गया ब्याजमुक्त कर्ज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए केंद्र की गंभीरता दर्शाता है। और राज्यों को केंद्र द्वारा दिये गये ग्रांट को भी यदि मिला दें तो पूंजीगत व्यय के लिए 2022-23 के दौरान कुल आवंटित रकम 10.68 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी, जो कि GDP का 4.1% है।

पूंजीगत व्यय पर इस तरह जोर देने का सीधा मतलब है कि सरकार मांग पक्ष के जरिए अर्थव्यवस्था में तेजी लाना चाहती है। इसलिए PM गतिशक्ति के साथ ही सरकार ने उद्योगों के लिए सहायक माहौल पैदा करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। कम्प्लायंस की संख्या कम करना, कानूनों को कम करना, उद्यम, ई-श्रम, NCS, ASEEM पोर्टलों को एक सूत्र में पिरोकर कार्य क्षमता में बढ़ोतरी करना इत्यादि ऐसे कदम हैं, जिनका मध्यम से लंबी अवधि में सकारात्मक असर दिखना तय है।

स्टार्टअप को टैक्स रिडेम्पशन में लगातार 3 वर्षों तक दी जा रही सुविधा को एक और वर्ष के लिए बढ़ाना भी एक तरह से इसी दिशा में एक कदम है। ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप खड़े होने के मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे। इसके अलावा छोटे शहरों और गांवों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और टीयर 2 तथा 3 शहरों को बड़े शहरों में बदलने की योजना वृहद पैमाने पर खपत में बढ़ोतरी करेगी, जिसका सीधा असर उद्योगों की उत्पादकता पर पड़ेगा।

ECLGS यानी इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की अवधि को मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया है। साथ ही इसके तहत गारंटीड कवर में भी 50,000 करोड़ रुपये की वृद्धि कर दी गई है, जिसके बाद अब कुल कवर 5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। अतिरिक्त रकम हॉस्पिटैलिटी सेक्टर (होटल, पर्यटन इत्यादि) के लिए दी जाएगी। ECLGS पर वित्त मंत्री की घोषणा से MSME पर केंद्रित बैंकों और NBFCs को लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि इससे उनका जोखिम कम होगा। साथ ही यह घोषणा MSME के लिए भी बहुत सकारात्मक है।

साफ है कि यह बजट पेश भले 2022-23 के लिए किया गया है, लेकिन इसके पीछे कहीं न कहीं अर्थव्यस्था को 5 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर तक पहुंचाने का एक सपना देखा गया है और उसे हकीकत में बदलने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। अब सारा दारोमदार इन बजट प्रावधानों के सफल और प्रभावी क्रियान्वयन पर है क्योंकि इसके माध्यम से ही भारत रोजगार परक विकास के साथ अर्थव्यवस्था की ऊंचाइयों को छू सकेगा।

(लेखक कृषि और आर्थिक मामलों के जानकार हैं)

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First Published: Feb 03, 2022 2:45 PM

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