Budget 2022: वाणिज्य मंत्रालय ने जिला स्तरीय निर्यात योजना के लिए मांगा ज्यादा बजट आवंटन
भले ही सरकार को देश भर में 450 से ज्यादा जिलों के लिए डीईएपी प्राप्त हुए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर डाटा कलेक्ट करने में अक्षमता और राज्यों की सुस्त प्रतिक्रिया के कारण इनकी पहचान करनी बाकी है
अपडेटेड Jan 17, 2022 पर 7:13 PM | स्रोत :Moneycontrol.com
भारत सरकार के लिए निर्यात बढ़ाना एक बड़ी चुनौती रही है
Budget 2022 : कॉमर्स डिपार्टमेंट ने वित्त मंत्रालय से आगामी बजट में अपनी डिस्ट्रिक्ट एस एक्सपोर्ट हब्स इनीशिएटिव के लिए ज्यादा फंड जारी करने का अनुरोध किया है। इस घटनाक्रम से जुड़े लोगों ने कहा कि इस इनीशिएटिव की क्षमता पर वित्त मंत्री के सामने विस्तृत प्रिजेंटेशन दिया, जो तेजी से विभाग की बड़ी स्कीम के रूप में उभर रही है।
सरकार ने इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रभाव को बढ़ाने और भारत की एक्सपोर्ट बास्केट को विविधता देने के उद्देश्य से डिस्ट्रिक्ट लेवल एक्सपोर्ट पर ध्यान केंद्रित किया है। 2020 की शुरुआत में डिपार्टमेंट की डिस्ट्रिक्ट एस एक्सपोर्ट हब्स इनीशिएटिव में देश के सभी जिलों में निर्यात संभावनाओं वाले प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को संकलित किया गया है।
कॉमर्स डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, “हमें इस संबंध में पर्याप्त आवंटन का भरोसा दिलाया गया है। पूरा सरकारी तंत्र व्यापक सरकारी समर्थन के बजाय इस तरह के विशेष एक्सपोर्ट एरियाज में पब्लिक फंड लगाने जाने के महत्व को मान्यता देता है।”
डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट एक्शन प्लान्स में आएगा फंड
अधिकारी ने कहा कि इनीशिएटिव के लिए ज्यादातर फंड कॉमर्स डिपार्टमेंट के बजट के अन्य सबहेड्स के तहत आवंटित किया जा सकता है। बजट के जरिये मिलने वाला ज्यादा फंड डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट एक्शन प्लान्स (डीईएपी) में जाएगा, जो इस पहल का मूल आधार है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “इसके प्रति दिलचस्पी पैदा होने के साथ, हम इस प्रोग्राम के अगले चरण में बढ़ने की योजना बना रहे हैं। इसमें ज्यादा टारगेटेड पहल और पॉलिसी प्लानिंग में सुधार शामिल हैं, जिससे बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को रिवार्ड दिया जा सके और ऊंची ग्रोथ की राह पर ले जाया जा सके।”
यह इनीशिएटिव जमीनी स्तर पर एक्सपोर्ट प्रमोशन, मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार सृजन को लक्षित करने की कोशिश करती है। यह योजना डीईएपी पर आधारित है, जो विस्तार योग्य, आर्थिक रूप से टिकाऊ और जिले स्तर पर निर्यात के स्थायी अवसरों की पहचान करती है।
यह एक्सपोर्ट के टारगेट भी तय करती है। भले ही सरकार को देश भर में 450 से ज्यादा जिलों के लिए डीईएपी प्राप्त हुए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर डाटा कलेक्ट करने में अक्षमता और राज्यों की सुस्त प्रतिक्रिया के कारण इनकी पहचान करनी बाकी है।
पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों ने अभी राज्य स्तर पर एक्सपोर्ट प्रमोशन कमेटीज तक नहीं बनाई हैं, वहीं छोटे राज्यों के पास अभी तक विस्तृत स्टेट एक्सपोर्ट पॉलिसी नहीं है।
डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड भी एक पोर्टल विकसित कर रहा है, जिसे डीजीएफटी की वेबसाइट पर देखा जा सकता है जिससे राज्य हर जिले की निर्यात क्षमता वाले उत्पादों से जुड़ी जानकारी अपलोड कर सकें।
इस पहल में जीएसटीएन और इंडियन कस्टम्स इलेक्ट्रॉनिक गेटवे या आइसगेट सिस्टम्स के जरिए जिला स्तर की कमोडिटी और सर्विस एक्सपोर्ट्स जुड़ा डाटा शामिल है।