Budget 2023: टाटा म्यूचुअल फंड (Tata Mutual Fund) के तेजस गुटका (Tejas Gutka) का कहना है कि कोविड को दौरान के निचले स्तरों से इंडियन इकोनॉमी की रिकवरी काफी तेजी से हुई है। तेजस गुटका बैंकिंग, रियल इस्टेट, ऑटोमोबाइल, कैपिटल गुड्स, बिल्डिंग मटेरियल और इंडस्ट्रियल जैसे सिक्लिकल सेक्टरो को लेकर बुलिश हैं। तेजस गुटखा वर्तमान में टाटा इंडिया टैक्स सेविंग फंड और टाटा हाउसिंग अपॉर्चुनिटी फंड के फंड मैनेजर हैं। मनीकंट्रोल से हुई एक बातचीत में उन्होंने कहा है कि यूनियन बजट 2023 में फिस्कल कंसोलिडेशन और लॉन्ग टर्म ग्रोथ के साथ ही इकोनॉमी में निवेश को बढ़ावा देना एक बड़ी कवायद होगी। वित्त मंत्री इनके बीच कैसे संतुलन स्थापित करती हैं ये देखने की बात होगी।
फिस्कल कंसोलिडेशन की कवायद पर रहेगी नजर
क्या वित्त मंत्री बजट में कैपिटल गेन टैक्स और डायरेक्ट टैक्स कोई बदलाव नहीं करेंगी? इस सवाल का जवाब देते हुए तेजस गुटका ने कहा कि हम इस तरह के मुद्दों पर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं। हालांकि फिस्कल कंसोलिडेशन के लिए उठाए जाने वाले कदमों और सरकारी खर्च के नेचर पर हमारी नजर बनी रहेगी।
नियर टर्म में बाजार से मिलने वाला रिटर्न रहेगा कम
इक्विटी मार्केट पर बात करते हुए तेजस गुटका ने कहा कि बाजार के पिछले प्रदर्शन और वर्तमान वैल्यूएशन को ध्यान में रखते हुए यह कहना सही होगी कि नियर टर्म में बाजार से मिलने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म के मिलने वाले रिटर्न की तुलना में कम रहेगा।
सिक्लिकल सेक्टर के स्टॉक में आगे अच्छी तेजी आने की संभावना
आईटी सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक साल से हम उन सेक्टरों पर पॉजिटिव हैं। जिनको सिक्लिकल सेक्टर कहा जाता है। हमारा मानना है कि कोविड के दौर के निचले स्तरों से भारतीय इकोनॉमी में जोरदार सुधार आया है। ऐसे में हमें बैंकिंग रियल एस्टेट, ऑटो मोबाइल, कैपिटल गुड्स, बिल्डिंग मैटेरियल और इंडस्ट्रियल जैसे सिक्लिकल सेक्टर के स्टॉक में आगे अच्छी तेजी आने की संभावना दिख रही है। बतातें चलें सिक्लिकल सेक्टर इकोनॉमी के उन सेक्टरर्स को कहते हैं जो इकोनॉमी के उतार-चढ़ाव से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। इसका मतलब ये है कि इकोनमी में तेजी आने के साथ ही इनमें तेजी आती है। मंदी आने पर इन शेयरों पर भी दबाव देखने को मिलता है।
घरेलू इकोनॉमी और घरेलू खपत से जुड़े शेयरों पर एक्सपोर्ट से जुड़े शेयरों की तुलना में ज्यादा बुलिश
उन्होंने ये भी कहा कि वो घरेलू इकोनॉमी और घरेलू खपत से जुड़े शेयरों पर एक्सपोर्ट से जुड़े शेयरों की तुलना में ज्यादा बुलिश हैं। घरेलू इकोनॉमी और खपत की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। वहीं ग्लोबल इकोनमी में तमाम दिक्कतें देखने को मिल रही हैं। ऐसे में घरेलू खपत और इकोनमी से जुड़े शेयरों में निवेश करना ज्यादा बेहतर होगा। वहीं ग्लोबल बाजार की उठा पटक से जुड़े फार्मा और आईटी जैसे शेयरों में अभी निवेश के अच्छे मौके नजर नहीं रहे हैं।
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