Budget 2023: ULIP की तरह Mutual Funds को भी मिले टैक्स छूट, AMFI ने रखीं ऐसी 8 डिमांड
Budget 2023 : म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने म्यूचुअल फंड्स और बीमा कंपनियों द्वारा जारी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIPs) से होने वाले कैपिटल गेन्स पर एक समान टैक्सेशन की मांग की है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर हुए कैपिटल गेन पर 10 फीसदी टैक्स की तुलना में यूलिप होने से वाला गेन उस स्थिति में टैक्स फ्री है, यदि सम एश्योर्ड भुगतान किए गए प्रीमियम का कम से कम 10 गुना है
AMFI ने टीडीएस के लिए डिविडेंड पेआउट की लिमिट बढ़ाकर 50,000 रुपये की जानी चाहिए, जो फिलहाल 5,000 रुपये है
Budget 2023 : म्यूचुअल फंड (mutual fund) इंडस्ट्री की ट्रेड बॉडी एम्फी (AMFI) ने बजट से जुड़ी अपनी विशलिस्ट (pre-budget wishlist) जारी कर दी है। इनमें टैक्स में कमी और दूसरे इनवेस्टमेंट्स के साथ टैक्स में समानता आदि शामिल हैं। AMFI ने इनवेस्टर्स के लिए नियमों में भी सरलता लाने की मांग की है। इसके साथ ही, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने म्यूचुअल फंड्स और बीमा कंपनियों द्वारा जारी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIPs) से होने वाले कैपिटल गेन्स (capital gains) पर एक समान टैक्सेशन की मांग की है।
इंश्योरेंस पॉलिसीज के साथ टैक्स में समानता
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर हुए कैपिटल गेन पर 10 फीसदी टैक्स की तुलना में यूलिप होने से वाला गेन उस स्थिति में टैक्स फ्री है, यदि सम एश्योर्ड भुगतान किए गए प्रीमियम का कम से कम 10 गुना है। साथ ही पैसा पांच साल के लॉक-इन के बाद निकाला जाता है और चुकाया गया प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से कम है।
ULIPs के मामले में एक ऑप्शन से दूसरे ऑप्शन में स्विच करने पर कैपिटल गेन नहीं माना जाता। वहीं, mutual funds के मामले में ग्रोथ ऑप्शन से डिविडेंड ऑप्शन या रेगुलर प्लान से डायरेक्ट प्लान में जाते हैं तो इसे ट्रांसफर माना जाता है, इसलिए कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
लिस्टेड बॉन्ड्स से टैक्स में समानता
इसी प्रकार लिस्टेड डिबेंचर्स और जीरो कूपन बॉन्ड्स टैक्सेशन के मामले में बेहतर स्थिति में हैं। उदाहरण के लिए, अगर लिस्डेट डिबेंचर्स को 12 महीने से ज्यादा होल्ड करें तो LTCG 10 फीसदी लगता है, वहीं डेट म्यूचुअल फंड्स को 36 महीने से ज्यादा होल्ड करें तो 20 फीसदी एलटीसीजी लगता है। हकीकत में दोनों ही डेट इंस्ट्रुमेंट्स हैं।
एक अन्य मांग में टीडीएस के लिए डिविडेंड पेआउट की लिमिट बढ़ाकर 50,000 रुपये की जानी चाहिए, जो फिलहाल 5,000 रुपये है।
स्कीम के मर्जर पर हो स्पष्टता
जब एमएफ हाउस की दो स्कीम या दो प्लान्स को कंसोलिडेट किया जाता है तो यूनिट्स के ट्रांसफर को कर के उद्देश्य से ट्रांसफर नहीं माना जाता है। इसलिए इनवेस्टर्स पर कोई कर देनदारी लागू नहीं होती है। एक ही स्कीम के तहत विकल्पों को कंसोलिडेट करने पर समान व्यवहार नहीं किया जाता है। एम्फी इस बारे में और स्पष्टता चाहता है।
इक्विटी एफओएफ की परिभाषा में हो संशोधन
AMFI ने कहा, यह प्रस्ताव किया जाता है कि Fund of Funds (FOF) स्कीम्स में निवेश को शामिल करने के लिए Equity Oriented Funds (EOF) की परिभाषा में संशोधन किया जाए। ट्रेड बॉडी चाहती है कि स्टॉक्स में न्यूनतम 65 फीसदी निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम्स को टैक्सेशन के उद्देश्य से इक्विटी फंड्स माना जाए। अभी तक नियमों के तहत इन स्कीम्स को कम से कम 90 फीसदी पैसा ईटीएफ की यूनिट्स में निवेश करना होता है।
नॉन रेसिडेंट्स
NRI इनवेस्टर्स के लिए मौजूदा स्लैब वाइज व्यवस्था के बजाय डिविडेंड और रिडेम्प्शन पर फ्लैट 10 फीसदी टीडीएस के लिए कहा गया है।
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स को मिले कैपिटल गेन बॉन्ड्स का स्टेटस
इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड्स यूनिट्स को लॉन्ग टर्म एसेट्स घोषित करने और ऐसी यूनिट्स को Income Tax Act के सेक्शन 54ईसी के तहत शामिल करने पर विचार करने की मांग की है।
ईटीएफ के लिए सही टैक्स व्यवहार
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए पात्र मानने के लिए डेट ईटीएफ में यूनिट्स के होल्डिंग पीरियड को घटकर 1 साल किया जाना चाहिए, जो फिलहाल तीन साल है। इन पर 20 फीसदी की जगह 10 फीसदी टैक्स लगाया जाना चाहिए।