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बजट 2023 : टैक्स स्लैब को आसान बनाने और सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ाने से आम आदमी को मिलेगी राहत

Budget 2023: इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स की लिस्ट में बदलाव करने की जरूरत है। इसमें कई ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं, जिनमें लोगों की दिलचस्पी ज्यादा नहीं रह गई है। जैसे नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और यूलिप। इनकी जगह म्यूचुअल फंड्स की हाइब्रिड स्कीमों को शामिल किया जा सकता है

अपडेटेड Dec 28, 2022 पर 6:16 PM
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पिछले कई सालों से टैक्स से छूट के लिए इनकम की सीमा 2.5 लाख बनी हुई है। इस बीच महंगाई की वजह से पैसे की वैल्यू आधी हो गई है। ऐसे में 2.5 लाख रुपये की सालाना इनकम की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करना बहुत जरूरी है।

बजट 2023 : आम आदमी करीब एक साल से महंगाई की मार से बेहाल है। साल 2020 और 2021 में कोरोना की महामारी ने आम आदमी की मुश्किल बढ़ाई थी। अब महंगाई उस पर भारी पड़ रही है। सरकार उसे राहत देने के लिए बजट (Union Budget 2023) में कुछ ऐलान कर सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी, 2023 को अगला यूनियन बजट पेश करेगी। यह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट है। इसलिए माना जा रहा है कि सरकार आम आदमी की मुश्किल कुछ करने का ऐलान बजट में कर सकती है। करोड़ों टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद है।

इनकम टैक्स से छूट के लिए इनकम की लिमिट बढ़ाई जाए

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कई सालों से टैक्स से छूट के लिए इनकम की सीमा 2.5 लाख बनी हुई है। इस बीच महंगाई की वजह से पैसे की वैल्यू आधी हो गई है। ऐसे में 2.5 लाख रुपये की सालाना इनकम की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करना बहुत जरूरी है। सालाना 5 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्ति को इनकम टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाना चााहिए। सरकार के इस कदम से देश के करोड़ों लोगों को फायदा होगा। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है।

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इनकम टैक्स की न्यू रीजीम को अट्रैक्टिव बनाने की जरूरत

सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में टैक्स की न्यू रीजीम पेश किया था। लेकिन, इसे टैक्सपेयर्स का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला है। इसकी वजह यह है कि ओल्ड रीजीम में कई तरह के डिडक्शन और एग्जेम्प्शन क्लेम करने की सुविधा मिलती है, जब न्यू रीजीम में यह नहीं मिलती है। इसलिए न्यू रीजीम को अट्रैक्टिव बनाने के लिए सरकार को उसके टैक्स रेट में कमी करने की जरूरत है। यह रीजीम ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए अच्छा है, जिनका फोकस टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट में निवेश में नहीं होता है।

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सेक्शन 80सी की लिस्ट में बदलाव करने से होगा टैक्सपेयर्स का फायदा

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत कई ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं, जिनमें लोगों की दिलचस्पी ज्यादा नहीं रह गई है। जैसे नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और यूलिप। सरकार को लिस्ट से इन्हें निकालकर म्यूचुअल फंड की हाइब्रिड स्कीमों को शामिल करना चाहिए। हाइब्रिड स्कीमें सेफ्टी के मामले में इक्विटी स्कीमों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होती हैं, जबकि इनका रिटर्न एएससी के मुकाबले ज्यादा होता है। इससे म्यूचुअल फंड्स में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ेगी। अभी 80सी के दायरे में म्यूचुअल फंड्स की सिर्फ इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम आती हैं।

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