Budget 2023 : रोज 3,608 करोड़ रुपये बढ़ी टॉप 100 अमीरों की दौलत, कैसे कम होगी अमीर-गरीब के बीच की खाई?

OXFAM Report : कोविड महामारी के बाद अमीर और गरीब के बीच खाई खासी बढ़ गई है। ऑक्सफैम इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारत के टॉप 100 अमीरों की दौलत बढ़कर 54.12 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। दिलचस्प बात यह है कि महामारी की शुरुआत से नवंबर 2022 तक अरबपतियों की दौलत 121 फीसदी यानी रोजाना 3,608 करोड़ रुपये बढ़ी है

अपडेटेड Jan 23, 2023 पर 2:29 PM
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Budget 2023 : भारत के अमीरों के पास देश की कुल 40.5 फीसदी वेल्थ है और 10 फीसदी अमीरों के पास भारत की कुल 72 फीसदी वेल्थ है

Abhishek Aneja

Budget 2023 : कोविड महामारी के बाद भारत के टॉप अमीरों की दौलत में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली। इसके चलते अमीर और गरीब के बीच खाई खासी बढ़ गई है। ऑक्सफैम इंडिया (Oxfam India) की एक नई रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई है। खास बात यह है कि 2022 में भारत के टॉप 100 अमीरों की दौलत बढ़कर 54.12 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। दिलचस्प बात यह है कि महामारी की शुरुआत से नवंबर 2022 तक अरबपतियों की दौलत 121 फीसदी यानी रोजाना 3,608 करोड़ रुपये बढ़ी है। वहीं, निचले तबके की 50 फीसदी आबादी जैसे तैसे गुजर बसर कर रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के अमीरों के पास देश की कुल 40.5 फीसदी वेल्थ है और 10 फीसदी अमीरों के पास भारत की कुल 72 फीसदी वेल्थ है। वहीं, निचले तबके की 50 फीसदी आबादी यानी 70 करोड़ लोगों के पास सिर्फ 3 फीसदी वेल्थ है।


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वहीं, निचले तबके की इस 50 फीसदी आबादी पर फूड और नॉन फूड आइटम्स पर टैक्स का सबसे ज्यादा यानी 64 फीसदी से ज्यादा बोझ पड़ता है। वहीं टॉप 10 फीसदी लोगों पर सिर्फ 3.90 फीसदी बोझ पड़ता है। इससे साफ है कि कोविड के बाद देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई तेजी से बढ़ी है। देश में गरीबों की आबादी 22.89 करोड़ है।

सुपर रिच पर टैक्स

रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि 2017-2021 के दौरान महज एक अरबपति गौतम अडानी को हुए अवास्तविक फायदे से एक बार में 1.79 लाख करोड़ रुपये का टैक्स जुटाया जाता तो यह एक साल में प्राइमरी स्कूलों के 50 लाख से ज्यादा टीचर्स को एक साल रखने के लिए पर्याप्त रकम होती।

रिपोर्ट में आगे सुझाव दिया गया है कि अगर भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर 2 फीसदी से 5 फीसदी तक टैक्स लगाया जाता है, तो इससे नेशनल हेल्थ मिशन, सप्लीमेंट्री न्यूट्रीशियन प्रोग्राम, समग्र शिक्षा जैसे स्वास्थ्य और साक्षरता के क्षेत्र में भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए फंडिंग हासिल हो सकती है।

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हालांकि, मौजूदा भारतीय कानून अवास्तविक फायदों पर टैक्स लगाने की इजाजत नहीं देते हैं। हालांकि, रिपोर्ट टॉप 1 फीसदी अमीरों की वेल्थ पर टैक्स लगाने की वकालत करती है, जिसका कुछ औचित्य भी है।

कैसे कम होगी अमीर और गरीब के बीच की खाई

-Budget 2023 : रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि गरीब और कमजोर वर्ग पर टैक्स का बोझ कम होना चाहिए। इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी रेट घटाया जाए और लग्जरी गुड्स पर जीएसटी रेट्स बढ़ाया जाए।

-मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स को मजबूती देने, शिक्षा में असमानता दूर करने से जुड़े कार्यक्रमों पर खर्च बढ़ाया जाना चाहिए।

-श्रमिक वर्ग के लिए सुरक्षा बढ़ाई जाए और उसकी मोलभाव की ताकत बढ़ाई जाए।

(Abhishek Aneja पेशे से सीए हैं)

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