Union Budget 2023: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी अब टैक्स के दायरे में, रिटायरमेंट सेविंग्स के लिए निवेशकों को तलाशने होंगे दूसरे रास्ते

Budget 2023: फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी या सरेंडर पर मिलने वाली रकम पर टैक्स के नियमों में बदलाव किया है। इस पर मिलने वाले टैक्स एग्जेम्प्शन को वापस ले लिया है। इसका काफी असर इंश्योरेंस कंपनियों पर पड़ने की उम्मीद है

अपडेटेड Feb 02, 2023 पर 11:40 AM
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यूनियन बजट 2023 में प्रस्तावित बदलाव 1 अप्रैल, 2023 को या इसके बाद जारी होने वाली पॉलिसीज पर लागू होंगे।

Budget 2023: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का एक बड़ा फायदा यह था कि मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता था। यूनियन बजट 2023 (Union Budget 2023) में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के ऐलान से इंश्योरेंस इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। इसके चलते इंश्योरेंस कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। आइए जानते हैं आखिर यूनियन बजट 2023 में फाइनेंस मिनिस्टर ने क्या ऐलान किया है।

अभी लाइफ इंश्योरेंस से मिलने वाली रकम पर एग्जेम्प्शन का नियम क्या है?

अभी किसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP छोड़कर) से बोनस सहित मिलने वाली कोई रकम इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स-फ्री होती थी। सिर्फ एक शर्त यह थी कि पॉलिसी की अवधि के दौरान चुकाया जाने वाला कुल प्रीमियम पॉलिसी के सम-एश्योर्ड के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

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ULIP के लिए टैक्स का नियम क्या है?

ULIP पॉलिसीज पर भी पहले टैक्स-छूट मिलती थी। लेकिन इसे फाइनेंस एक्ट, 2021 में खत्म कर दिया गया था। अब नियम यह है कि सिर्फ व्यक्ति की मौत की स्थिति को छोड़कर 1 फरवरी, 2021 को या उसके बाद जारी की गई यूलिप पॉलिसी का प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो उस पर टैक्स लगेगा। अगर एक से ज्यादा पॉलिसीज हैं तो उन सभी पॉलिसीज का प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से कम होना चाहिए।

एग्जेम्प्श वापस लेने की वजह क्या है?

फाइनेंस एक्ट 2023 के मेमोरेंडम में जो वजह बताई गई है, उसमें कहा गया है कि एग्जेम्प्शन वापस लेने की वजह यह है कि कई अमीर लोग इस एग्जेम्प्शन का दुरूपयोग कर रहे हैं। सेक्शन 10(10D) के तहत मिलने वाले इस एग्जेम्प्शन का गलत फायदा उठाने के लिए वे ज्यादा प्रीमिमय वाली पॉलिसी में इनवेस्ट करते थे। फिर, पॉलिसी से मिलने वाली रकम पर वे एग्जेम्प्शन क्लेम करते थे। इस दुरूपयोग को रोकने के लिए वित्तमंत्री ने एग्जेम्प्शन हटाया है।

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1 अप्रैल के बाद जारी पॉलिसी के मामले में क्या होगा?

किसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी या सरेंडर करने पर मिलने वाली रकम तब टैक्सेबल होगी जब पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 5 लाख रुपये से ज्यादा होगा या एक साल में प्रीमियम का एग्रीगेट अमाउंट 5 लाख रुपये से ज्यादा होगा। पॉलिसी की मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम से प्रीमियम का डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत तभी होगी जब सेक्शन 80सी के तहत उस पर डिडक्शन का दावा नहीं किया गया होगा। इंश्योरेंस कंपनी से मिलने वाले अमाउंट को टैक्सपेयर के लिए दूसरे स्रोत से इनकम मानी जाएगी और उस पर टैक्स लगेगा। अगर पॉलिसीधारक की मौत पर इंश्योरेंस कंपनी से पैसे मिलते हैं तो उस पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा।

1 अप्रैल, 2023 से पहले जारी पॉलिसी के मामले में क्या होगा?

यूनियन बजट 2023 में प्रस्तावित बदलाव 1 अप्रैल, 2023 को या इसके बाद जारी होने वाली पॉलिसीज पर लागू होंगे। 31 मार्च, 2023 तक जारी कई गई पॉलिसीज के टैक्स के नियमों में किसी तरह का बदलाव लागू नहीं होगा।

इस संशोधन की वजह से इंश्योरेंस कंपनियों से काफी ज्यादा रिटायरमेंट प्लानिंग फंड्स निकाल लिए जाएंगे और मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स के लिए लंबी अवधि में टैक्स बचाने के रास्ते कम हो जाएंगे। अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए इनवेस्टर्स को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा रास्ते तलाशने होंगे और उन्हें किसी तरह का निवेश करने से पहले उस पर टैक्स के असर को देख लेना होगा।

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