बजट 2023: करीब ढाई-तीन साल बाद रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में रौनक लौट रही है। दिल्ली, मुंबई, गुड़गांव, नोएडा, पुणे जैसे शहरों में घरों की मांग बढ़ी है। अगले यूनियन बजट (Budget 2023) में रियल एस्टेट सेक्टर पर सरकार का फोकस रहने की उम्मीद है। इसकी कई वजहें हैं। पहला, सरकार आबादी के बड़े हिस्से को अपना घर उपलब्ध कराने के टारगेट को जल्द हासिल करना चाहती है। दूसरा, घरों की मांग बढ़ने से रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधियां बढ़ेंगी। इसका फायदा पूरी इकोनॉमी को होगा।
रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधियां बढ़ने से कई सेक्टर को फायदा
दरअसल, रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी से सीमेंट, स्टील, पेंट्स सहित कई इंडस्ट्री को फायदा होता है। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर रोजगार देने के मामले में भी दूसरे सेक्टर से आगे है। ऐसे में उम्मीद है कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट (Union Budget) में बड़े उपायों का ऐलान कर सकती हैं।
वित्त मंत्री अगले यूनियन बजट में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम का ऐलान कर सकती हैं। फिलहाल रियल एस्टेट कंपनियों को प्रोजेक्ट के लिए 70 अप्रूवल हासिल करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसमें काफी समय लग जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, इसमें करीब 1 से 2 साल का समय लग जाता है। सिंगल विंड क्लियरेंस सिस्टम लागू होने से प्रोजेक्ट की कॉस्ट में भी कमी आएगी। डेवेलपर्स समय पर प्रोजेक्ट लॉन्च और पूरे कर सकेंगे। इससे घर खरीदने वालों को भी फायदा होगा।
एफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा बदलने की जरूरत
अगले यूनियन बजट में सरकार को एफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा बदलने की जरूरत है। फिलहाल एफोर्डेबल हाउसिंग के लिए कुछ शर्तें तय हैं। पहला, उसका एरिया 60 वर्ग मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दूसरा, उसकी कीमत 45 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लेकिन, मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में 45 लाख रुपये की कीमत में घर मिलना मुश्किल है। इन शहरों में ज्यादातर घरों की कीमतें इस सीमा से ज्यादा है। चूंकि, सरकार की कई स्कीमें एफोर्डेबल हाउसिंग तक सीमित है, जिससे ज्यादातर घर खरीदारों को इनका लाभ नहीं मिल पाता है।
टैक्स में रियायत बढ़ाने से आम लोगों को होगा फायदा
पिछले कई साल से घर खरीदने पर टैक्स में मिलने वाली रियायतों में बदलाव नहीं किया गया है। होम लोन के प्रिंसिपल पर टैक्स डिडक्शन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत आता है। चूंकि, पहले से इस सेक्शन में एक दर्जन इनवेस्टमेंट ऑप्शंस शामिल हैं, जिससे घर खरीदार को इस सेक्शन का ज्यादा फायदा नहीं मिलता है। इसलिए वित्त मंत्री को होम लोन के प्रिंसिपल टैक्स डिडक्शन के लिए अलग से प्रावधान करना चाहिए। होम लोन के इंटरेस्ट पर टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये है। एक वित्त वर्ष में सेक्शन 24बी के तहत अधिकत 2 लाख रुपये के होम लोन इंटरेस्ट पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसे बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये करने की जरूरत है। इससे बड़ी संख्या में लोगों की दिलचस्पी घर खरीदने में बढ़ेगी।
रियल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा मिले
अभी सिर्फ फोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स ही इंडस्ट्री की श्रेणी में आते हैं । पूरे रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा देने की जरूरत है। इससे सरकार की कई स्कीमों का फायदा रियल एस्टेट इंडस्ट्री को भी मिलने लगेगा। इससे घरों की कीमतों में भी कमी आएगी। रियल एस्टेट सेक्टर की देश की जीडीपी में करीब 7 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अगले कुछ सालों में बढ़कर 12 फीसदी हो जाने की उम्मीद है। रियल एस्टेट सेक्टर में करीब 7 करोड़ लोगों को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार मिला हुआ है। इसलिए इस सेक्टर को उद्योग का दर्जा मिलने से रोजगार के मौके बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
(पारिजात सिन्हा आर्थिक एवं सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं । वे लेखक एवं मैनेजमेंट तथा लॉ कंसल्टेंट भी हैं)