Budget 2023: बजट से पहले IRB Infra के शेयरों में तेजी कितनी टिकाऊ है?
Budget 2023:एनालिस्ट्स का कहना है कि भारतमाला जैसी सरकार की स्कीम से सड़क बनाने वाले कंपनियों के लिए तस्वीर साफ होगी। आगे रोड कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में मजबूती आएगी। कमजोर कंपनियां बिजनेस से बाहर हो रही हैं, जबकि बड़ी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही है
Union Budget 2023:IRBI Infrastructure Developers के शेयरों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। शेयर की कीमत में आए उछाल से इसका पता चलता है। स्टॉक स्प्लिट और फंड जुटाने के प्लान की वजह से यह भी यह कंपनी हाल में सुर्खियों में थी। 4 जनवरी को बोर्ड की बैठक में स्प्लिट प्लान को मंजूरी मिल गई। कंपनी के हर शेयर को 10 शेयर में बांट दिया जाएगा। स्प्लिट के बाद हर शेयर की फैस वैल्यू 10 रुपये से घटकर 1 रुपये हो जाएगी। स्प्लिट के बाद कंपनी के आउस्टैंडिंग शेयरों की संख्या बढ़ जाएगी। आम तौर पर कंपनियां शेयरों में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए स्प्लिट का फैसला लेती है। इससे मार्केट में शेयर की कीमत कम हो जाती है, जिससे इनवेस्टर्स के लिए उसे खरीदना आसान हो जाता है।
वेंचुरा सिक्योरिटीज ने स्टॉक स्प्लिट को कंपनी का अच्छा कदम बताया है। वेंचुरा सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च विनित बोलिंजकर ने कहा, "स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयरों में लिक्विडिटी बढ़ेगी। इससे शेयरों में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी।" एक तरफ जहां स्टॉक स्प्लिट को लिक्विडिटी बढ़ाने की कोशिश माना जाता है, वही दूसरी तरफ इसे खराब हालात में शेयर की कीमतों को सहारा देने की मैनेजमेंट की कोशिश के रूप में भी देखा जाता है। इससे यह सवाल पैदा होता है कि क्या इसे आगे स्लोडाउन के संकेत के रूप में देखना चाहिए?
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हाल में कंपनी के शेयरों में आई मजबूती की वजह कंपनी की मजबूत बुनियादी स्थिति को माना जा रहा है। इसके अलावा बजट से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के शेयरों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ती है। माना जा रहा है कि अगले यूनियन बजट में ग्रोथ पर फोकस होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी सरकार का फोकस बने रहने की उम्मीद है। इसका फायदा आईआरबी इंफ्रा जैसी कंपनियों को होगा।
सरकार अगले यूनियन बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस बढ़ाने जा रही है। रोड के लिए आवंटन 30 फीसदी बढ़ाया जा सकता है। दरअसल, रोड कंस्ट्रक्शन की स्पीड बढ़ाकर सरकार रोजाना 50 किलोमीटर करना चाहती है। रोड सेक्टर के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर में सुस्ती के बावजूद मार्केट का मानना है कि आईआरबी इंफ्रा को बजट में होने वाले ऐलान से फायदा होगा।
Nomura की रिपोर्ट के मुताबिक, मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज ने पिछले साल नवंबर में 375 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाने के लिए टेंडर दिए हैं। यह नवंबर 2021 के मुकाबले काफी कम है। नवंबर 2021 में 665 किलोमीटर हाईवे बनाने के लिए टेंडर दिए गए थे। अक्टूबर 2022 में 915 किमी सड़क बनाने के लिए टेंडर दिया गया था। नोमुरा ने सड़कों पर घटते पूंजीगत खर्च की तीन वजहें बताई हैं।
पहला, इनफ्लेशन की वजह से सीमेंट, स्टील और बिटुमेन की कीमत करीब 10 फीसदी तक बढ़ गई है। इससे सड़क बनाना महंगा हो गया है। इस फाइनेंशियल ईयर में रोड कंस्ट्रक्शन के लिए पूंजीगत साल दर साल आधार पर खर्च सिर्फ 1 फीसदी बढ़ाया गया, जो बहुत कम है।
नोमुरा का कहना है कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में सड़क बनाने की रफ्तार घटी है। रोल रेवेन्यू बढ़ा है, लेकिन यह उतना ज्यादा नहीं है, जितना नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया पर कर्ज का बोझ बढ़ा है। जब तक मौजूदा रोड एसेट का इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए नहीं किया जाता तब तक एनएचएआई के डेट में कमी नहीं आएगी।
नोमुरा के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2014-15 में एनएचएआई पर कर्ज का बोझ 24,200 करोड़ रुपये था। यह फाइनेंशियल 2021-22 में बढ़कर 3,49,000 करोड़ रुपये होग गया है। यह फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में टोल कलेक्शन का 22 गुना है।
आईआरबीकी ऑर्डर बुक सितंबर 2022 में 200 अरब रुपये थी। इसमें EPC 11,200 करोड़ रुपये था। यह कुल ऑर्डर बुक का करीब 56 फीसदी है। इस फाइनेंशियल ईयर के बाकी समय में कंपनी को 50-70 अरब रुपये के नए ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। वेचुरा सिक्योरिटीज को कंपनी का नेट कर्ज फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में घटकर 6.136 करोड़ रुपये रह जाने की उम्मीद है। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में यह 11,615.4 करोड़ रुपये था। हाल में कंपनी ने बताया था कि उसके स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर के जरिए 700 करोड़ रुपये जुटाए थे।
IRB Infra ने कहा, "नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कुछ मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने पर किया गया। कुछ पैसे का इस्तेमाल प्रोजेक्ट पर कर्ज घटाने के लिए भी होगा। इससे इंटरेस्ट पर होने वाले खर्च में कमी आएगी।"
एनालिस्ट्स का कहना है कि भारतमाला जैसी सरकार की स्कीम से सड़क बनाने वाले कंपनियों के लिए तस्वीर साफ होगी। आगे रोड कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में मजबूती आएगी। कमजोर कंपनियां बिजनेस से बाहर हो रही हैं, जबकि बड़ी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही है। सेंट्रम कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर (इंफ्रा) संदीप उपाध्याय ने कहा कि रोड कैपेक्स में आई सुस्ती का असर आईआरबी इंफ्रा जैसी बड़ी कंपनियों पर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि रोड सेक्टर में आईआरबी इंफा की स्थिति काफी मजबूत है।