Budget 2023: हर यूनियन बजट के पहले अक्सर निवेशकों में तमाम अपेक्षाएं रहती हैं। इस बार भी स्थितियां अलग नहीं हैं। इस बार भी बजट से निवेशकों को तमाम आशाएं हैं। निवेशकों और मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेश के होल्डिंग पीरियड की शर्तों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। अधिकांश निवेशकों को अपना टैक्स चुकाने के लिए असेट क्लास को लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म में वर्गीकृत करने के लिए निर्धारित मानकों में समझने में दिक्कत होती है।
गौरतलब है कि अलग-अलग असेट क्लास के लिए लॉन्ग टर्म की कटेगरी में जाने के लिए अलग-अलग समयावधि निर्धारित है। इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड में 1 साल से ज्यादा के निवेश को लॉन्ग टर्म का निवेश माना जाता है। वहीं गैर इक्विटी MF में 3 साल से ज्यादा के निवेश को लॉन्ग टर्म माना जाता है। जबकि रियल एस्टेट के लिए यह अवधि 2 साल और लिस्टेड बॉन्ड्स के लिए यह अवधि 1 साल है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल के होल्डिंग पीरियड की शर्त को तर्कसंगत बनाने की जरूरत
Tax2win.in के सीईओ और को-फाउंडर अभिषेक सोनी का कहना है कि इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल के होल्डिंग पीरियड की शर्त को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए। वर्तमान में सभी कैपिटल असेट की होल्डिंग पीरियड और इन पर लागू होने वाला टैक्स अलग-अलग है। इसको सरल किए जाने की जरूरत है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर मिलने वाली छूट में बढ़त की उम्मीद
वर्तमान नियमों के तहत इंडीविजुअल टैक्स पेयर्स को उस स्थिति में इक्विटी और म्यूचुअल फंडों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है जब तक ये गेन किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होता है। यह गेन 1 लाख रुपये से ज्यादा होने पर 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है। मुंबई स्थित S K Patodia & Associates के मिहिर तन्ना का कहना है कि वर्तमान में छूट की यह लिमिट पर्याप्त नहीं है। कैपिटल गेन टैक्स पे पर मिलने वाली इस छूट को 2.50 लाख किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इक्विटी इनवेस्टमेंट पर लगने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में मिलने वाली छूट में बढ़ती महंगाई और बढ़ते आय स्तर को देखते हुए बढ़त की जरूरत है। अगर छूट की यह लिमिट बढ़ती है तो इससे इक्विटी मार्केट में निवेशक और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
लॉन्ग टर्म निवेश को प्रोत्साहन की जरूरत
निमित कंसल्टेंसी के नीतेश बुधदेव का कहना है कि टैक्स राहत देकर रियल लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि अगर लिस्टेड स्टॉक्स, अनलिस्टेड स्टॉक्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कम से कम दस साल के लिए निवेश किया जाता है तो कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं होना चाहिए।
फिक्सड इनकम प्रोडक्ट्स पर भी कैपिटल गेन में मिलनी चाहिए छूट
Tax2win.in के सीईओ और को-फाउंडर अभिषेक सोनी का कहना है कि 1 लाख के छूट की सुविधा अभी सिर्फ इक्विटी इनवेस्टमेंट और एमएफ इक्विटी इनवेस्टमेंट के लॉन्गटर्म गेन पर मिलती है। उम्मीद है कि इस बजट में इस छूट का विस्तार डेट ओरिएंटेड म्यूचुअल फंडों में भी होगा। उन्होंने आगे कहा कि कुछ ऐसे निवेशक भी हो सकते हैं जो इक्विटी में बिल्कुल भी निवेश नहीं करते हैं। ऐसे निवेशक डेट फंडों में अपने लॉन्ग टर्म निवेश पर बुक किए गए मुनाफे पर टैक्स चुकाते हैं और किसी भी छूट का फायदा नहीं मिलता है। अभिषेक सोनी का कहना है कि ऐसे निवेशकों को भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में छूट मिलनी चाहिए।
टैक्स दरों में बदलाव की जरूरत
गौरतलब है कि इक्विटी के शॉर्ट टर्म गेन पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। यह दर उस समय तक सही थी जबतक आयकर की न्यूनतम दर 10 फीसदी थी। अब जबकि आयकर की निम्नतम दर 5 फीसदी पर आ गई । ऐसे में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर लगने वाला 15 फीसदी टैक्स किसी दंड जैसा लगता है। जानकारों का कहना है कि रिटेल निवेशकों को राहत देने के लिए इस दर में कटौती किए जाने की जरूरत है
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