कृषि अर्थशास्त्रियों ने पिछले हफ्ते के आखिर में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को बजट से अपनी उम्मीदों के बारे में बताया। इस बैठक में फाइनेंस मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारियों के साथ चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) भी मौजूद थे। बैठक में कृषि से जुड़ी सब्सिडी, टैक्स और इस सेक्टर की ग्रोथ के बारे में बातचीत हुई। बजट 2024 से पहले वित्तमंत्री इकोनॉमी, उद्योग और कारोबार से जुड़े अलग-अलग सेक्टर के प्रतिनिधियों की राय जानने की कोशिश कर रही है। फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का फुल बजट जुलाई के तीसरे हफ्ते में आने की उम्मीद है।
कृषि सेक्टर की ग्रोथ सिर्फ 1.4 फीसदी
कृषि अर्थशास्त्रियों (Agriculture Economists) ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई सुझाव दिए। उन्होंने वित्तमंत्री को उन उपायों के बारे में भी बताया, जिससे कृषि क्षेत्र की ग्रोथ बढ़ाई जा सकती है। अभी इस सेक्टर की ग्रोथ सिर्फ 1.4 फीसदी है। यह बीते 8 साल में कृषि क्षेत्र की सबसे कम ग्रोथ है। उन्होंने कुछ खास एग्रीकल्चर इनपुट्स (Agriculture Inputs) पर जीएसटी (GST) की दरों में बदलाव की भी मांग की। अभी कीटनाशकों पर जीएसटी का रेट 18 फीसदी है, जबकि वाटर पंप पर यह 12 फीसदी है।
सब्जियों का इनफ्लेशन हाई लेवल पर
उन्होंने तेजी से बढ़ती सब्जियों की कीमतों पर भी चिंता बढ़ाई। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सरकार को वैल्यू चेन में इम्प्रूवमेंट के उपाय करने चाहिए। पिछले छह महीनों से सब्जियों का इनफ्लेशन 9 फीसदी से ज्यादा बना हुआ है। मई में सब्जियों का इनफ्लेशन 27.3 फीसदी के हाई लेवल पर पहुंच गया। अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना था कि फिलहाल सब्जियों की ऊंची कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
सब्सिडी की व्यवस्था में बदलाव की जरूरत
एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश के उत्तरी हिस्से में गर्म हवाएं चल रही हैं। इसका असर सब्जियों के उत्पादन पर पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों ने सब्सिडी के मसले पर भी वित्तमंत्री के साथ चर्च की। उन्होंने मौजूदा व्यवस्था की जगह सब्सिडी का पैसा सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने की सलाह दी। इससे पहले 20 जून को इंडस्ट्री बॉडीज के साथ हुई बैठक में भी प्रतिनिधियों ने सब्सिडी के मसले पर अपनी राय रखी थी। उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा बढ़ाने की भी सलाह दी थी।
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पीएम सम्मान निधि का पैसा बढ़ाया जाए
अभी पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के एक साल में सरकार की तरफ से 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह 2,000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है। इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि जब से यह स्कीम शुरू हुई है, किसानों को दिया जाने वाला अमाउंट नहीं बढ़ाया गया है। इसे बढ़ाकर कम से कम 8,000 रुपये करने की जरूरत है। सरकार ने इस साल 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में इस स्कीम के लिए 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था।