Budget 2024: यह बजट चुनावों के बाद मोदी सरकार की राजनीतिक दिशा बदलने का पहला बड़ा संकेत
Budget 2024 Announcements: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से यह संकेत मिला है कि सरकार लोकसभा चुनावों के बाद की राजनीतिक हकीकत को अच्छी तरह से समझती है। किसान, युवाओं के साथ ही बिहार और आंध्र प्रदेश के सहयोगी दलों पर ज्यादा फोकस इस बात के संकेत हैं
Union Budget 2024-25: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण की शुरुआत में ही रोजगार के नए मौके बनाने वाले उपायों का उल्लेख किया। यह इस बात का संकेत हैं कि सरकार युवाओं की सबसे बड़ी परेशानी दूर करने को लेकर गंभीर है।
करीब एक महीना पहले बीजेपी के अपने दम पर सरकार बनाने की हैसियत खोने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट के जरिए बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। सरकार ने किसान जैसे प्रमुख वोटर्स समूहों का अंसतोष दूर करने की कोशिश की है। सरकार का फोकस रोजगार के मौके पैदा करने, बिहार और आंध्र प्रदेश के एनडीए के सहयोगी दलों के लिए आवंटन बढ़ाने और स्टॉक मार्केट के लिए कुछ कड़े फैसले पर रहा है। पिछले कई हफ्तों से बीजेपी की तरफ से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही थी कि चुनावों के बाद लोकसभा में सासंदों की संख्या घटने के अलावा दूसरा कोई बदलाव नहीं आया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का बजट सरकार की राजनीतिक दिशा बदलने का पहला बड़ा संकेत देता है।
मोदी सरकार के बजट में 5 बड़े संदेश
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट के मुख्य रूप से पांच संदेश हैं। पहला, युवा वोटर्स का हमेशा ब्रांड मोदी को मजबूत बनाने में बड़ा हाथ रहा है। लेकिन, नौकरियों के पर्याप्त मौकों की कमी की वजह से मोदी सरकार को लोकसभा चुनावों में युवाओं के गुस्से का सामना करना पड़ा। इस वजह से, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस समस्या को सबसे ज्यादा तरजीह देने की कोशिश की है। उन्होंने बजट भाषण की शुरुआत में ही रोजगार के नए मौके बनाने वाले उपायों का उल्लेख किया।
युवाओं को राहत देने की कोशिश
इनमें 15,000 रुपये तक की एक महीने की सैलरी का डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर, कंपनियों के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड से एक करोड़ युवाओं के इनटर्नशिप का पेमेंट और एक करोड़ युवाओं की स्किल बढ़ाने वाला प्रोग्राम शामिल हैं। सरकार ने इकोनॉमिक सर्वे में खुद कहा है कि देश में अगले 7 साल में गैर-कृषि क्षेत्र में हर साल कम से कम 78 लाख नौकिरियों के मौके बनाने होंगे। ऐसा लगता है कि बजट में इसके लिए उपाय किए गए हैं।
बढ़ती महंगाई से राहत के उपाय
युवा टैक्सपेयर्स के हाथ में ज्यादा पैसे बचे इसके लिए बजट में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए हैं। इससे नई टैक्स रीजीम का चुनाव करने वाले टैक्सपेयर्स के हाथ में अतिरिक्त 17,500 रुपये बचेंगे। खासकर खानेपीने की चीजों के दाम बढ़ने से गरीबों को होने वाली मुश्किल को देखते हुए इनफ्लेशन के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड के प्रस्ताव से सरकार की प्रायरिटी का संकेत मिलता है।
ग्रामीण इलाकों और सहयोगी दलों पर ज्यादा फोकस
दूसरा, सरकार ने ग्रामीण इलाकों और किसानों के बीच अपनी घटती लोकप्रियता पर ध्यान देने की कोशिश की है। कृषि के लिए ऐलोकेशन बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह एक साल पहले के मुकाबले 11,318 करोड़ रुपये ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों के लिए ऐलोकेशन 10 फीसदी बढ़ाकर 2.66 लाख करोड़ रुपये किया गया है। तीसरा, बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार को ज्यादा महत्व दिया गया है जो बताता है कि नई मोदी सरकार नई सियासी हकीकत को समझती है। आंध्र में सरकार ने नई राजधानी बनाने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की सहायती उपलब्ध कराने का वादा किया है।
बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए ज्यादा ऐलोकेशन
वित्तमंत्री ने आंध्र प्रदेश में पोल्लावरम इरिगेशन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए भी आर्थिक मदद देने की बात कही है। इस प्रोजेक्ट को आंध्र के किसानों की लाइफलाइन माना जाता है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सरकार ने बिहार को मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक से आर्थिक मदद उपलब्ध कराने की बात कही है। इसके अलावा राज्य में रोड प्रोजेक्ट्स के लिए 26,000 करोड़ और पावर प्रोजेक्ट्स के लिए 21,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की बात कही गई है। बिहार में गया में विष्णुपाद मंदिर और बोध गया में महोबोधी मंदिर में काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर कॉरिडोर बनाने का वादा किया गया है।
ग्रोथ और फिस्कल कंसॉलिडेशन की भी चिंता
चौथी, पिछले कुछ सालों से सरकार ने पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर जोर दिया है। इसका मकसद ग्रोथ बढ़ाना रहा है। साथ ही सरकार का फोकस फिस्कल डेफिसिट को भी नियंत्रण में रखने पर रहा है। इस मोर्चे पर सरकार ने सबकुछ सामान्य होने के संकेत दिए हैं। सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11.11 लाख करोड़ रुपये खर्च के अपने टारगेट को फिर से दोहराया है। सरकार ने कहा है कि उसका फिस्कल डेफिसिट घटकर FY25 में 4.9 (अंतरिम बजट में 5.1 फीसदी) फीसदी पर आ जाएगा।
स्टॉक मार्केट को कड़वी दवा
अंत में, स्टॉक मार्केट की आशंका सच साबित हुई है। सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। राजनीतिक संकेत साफ हैं-जरूरत से ज्यादा स्पक्युलेशन ठीक नहीं है। सभी कैटेगरीज के लिए एंजेल टैक्स खत्म करने के कदम से स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।
राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाने की कोशिश
किसी सरकार के पहले बजट से यह संकेत मिलता है कि अगले पांच साल में उसका एप्रोच क्या होगा। मोदी 1.0 ने 2014 में मिडिल क्लास पर फोकस किया था। बेसिक टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाई गई थी। मोदी 2.0 ने 2019 में निवेशकों को खुश करने और अमीरों पर सख्ती के संदेश दिए थे। मोदी 3.0 को राजनीतिक प्राथमिकताओं का अहसास है। निर्मला सीतारमण के बजट में राजनीतिक मजबूरियों और फिस्कल प्रूडेंस के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है।
नलिन मेहता मनीकंट्रोल के मैनेजिंग एडिटर हैं। वह इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज-नेशनल यूनिवर्सिटी सिंगापुर में नॉन-रेजिडेंट सीनियर फेलो हैं। वह कई बेस्टसेलिंग और मशहूर किताबों के लेखक भी हैं।