वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने ने कई मंत्रालयों और डिपार्टमेंट्स से ग्रांट्स के लिए अंतिम डिमांड के एक्सपेंडिचर प्रपोजल मांगने शुरू कर दिए हैं। मंत्रालय ने बजट सेशन से पहले यह कवायद शुरू की है। संसद का बजट सेशन जनवरी के अंतिम हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है। यह 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र होगा। इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। बजट सत्र में केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के अपने खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करेगी। इसके लिए सरकार 1 फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट पेश होगा। यह वोट ऑन-अकाउंट होगा। वित्त वर्ष 2023-24 के ग्रांट के लिए सप्लमेंटरी डिमांड का दूसरा बैच बजट सत्र में संसद में पेश होगा। इन डिमांड में ऐसे मामले शामिल होंगे, जिनमें कंटिजेंसी फंड से एडवान्स को मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा कोर्ट के आदेश से जारी होने वाले पेमेंट इसमें शामिल किए जाएंगे।
8 जनवरी तक सप्लिमेंट्री प्रपोजल सब्मिट करना होगा
वित्त मंत्रालय के निर्देश में कहा गया है कि सप्लमेंट्री ग्रांट के प्रपोजल की प्रोसेसिंग के दौरान ग्रांट कंट्रोलिंग अथॉरिटी को ग्रांट के तहत सेविंग्स के बारे में बताना होगा। इसका मकसद इनफ्लेटेड सप्लमेंट्री डिमांड या अनावश्यक खर्च में कमी लाना है। इससे सप्लमेंट्री ग्रांट मिलने के बाद फंड सरेंडर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 29 दिसंबर को जारी मेमोरंडम के मुताबिक, मंत्रालयों को 8 जनवरी तक अपने सप्लमेंट्री प्रपोजल सब्मिट करने को कहा गया है। केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सही फंड यूटिलाइजेशन के लिए बजट एप्रूवल प्रोसेस को चुस्तदुरुस्त बनाने का लक्ष्य तय किया है।
बजट पारित करने की प्रक्रिया जल्द पूरा करने पर फोकस
पहले जब यूनियन बजट फरवरी के आखिर में पेश होता था तो तीन चरणों वाली संसद की मंजूरी प्रक्रिया मई के मध्य तक पूरी होती थी। इससे प्रोजेक्ट्स पर सरकार के खर्च में देर होती थी। यह मानसून के बाद अगस्त या सितंबर तक शुरू हो पाता था। अब सरकार बजट की मंजूरी प्रक्रिया को जल्द पूरा करने पर जोर दे रही है। इससे प्रोजेक्ट्स पर सरकार का खर्च जल्द शुरू हो जाता है।