Union Budget 2024: 23 जुलाई को देश में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश होने वाला है। चुनावों से पहले इस साल फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट में करदाताओं को इनकम टैक्स की दरों में राहत नहीं मिली थी। अब आम चुनाव और नई सरकार के बनने के बाद पेश होने जा रहे पूर्ण बजट से मिडिल क्लास इंडीविजुअल टैक्सपेयर राहत की आस लगाए हुए हैं। उनकी विशलिस्ट में इनकम टैक्स की दरों में कमी, बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट में बढ़ोतरी जैसी चीजें शामिल हैं।
टैक्सपेयर कितनी चाहते हैं बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट
पुरानी आयकर व्यवस्था के तहत बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट 2.5 लाख रुपये और नई आयकर व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये है। टैक्सपेयर की टैक्सेबल इनकम इस लिमिट तक या इससे कम होने पर उसे कोई टैक्स नहीं देना होता है। उम्मीद की जा रही है कि पूर्ण बजट 2024 में इस लिमिट को नई आयकर व्यवस्था के तहत बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है।
टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्सआराम इंडिया के चार्टर्ड अकाउंटेंट और फाउंडर-डायरेक्टर मयंक मोहनका का कहना है कि इससे न तो सरकार के टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन पर बहुत अधिक असर पड़ेगा और न ही टैक्स बेस कम होगा। हां, लेकिन इससे हायर टैक्स ब्रैकेट में आने वालों को अपना टैक्स खर्च कम करने में मदद जरूर मिलेगी। मोहनका का मानना है कि अगर सरकार बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करती है तो 15-20 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम वाले लोग टैक्स में 50,000-60,000 रुपये की बचत कर सकते हैं।
₹15-20 लाख के अतिरिक्त टैक्स स्लैब की हो पेशकश
वित्तीय सलाहकार फर्म ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर पंकज मठपाल के मुताबिक, 'नई आयकर व्यवस्था के तहत 15 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर 20 प्रतिशत की टैक्स रेट लागू होती है। 15 लाख रुपये से अधिक की टैक्सेबल इनकम पर इनकम टैक्स की दर 30 प्रतिशत है। 25 प्रतिशत दर का टैक्स ब्रैकेट मौजूद नहीं है। इसलिए, 15-20 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम के लिए एक अतिरिक्त टैक्स ब्रैकेट को पेश करने की गुंजाइश है। अगर ऐसा होता है तो 30 प्रतिशत की टैक्स रेट 20 लाख रुपये से अधिक की टैक्सेबल इनकम पर लागू होगी।'
नई आयकर व्यवस्था में HRA या होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन को किया जाए शामिल
नई आयकर व्यवस्था को अपनाए जाने में कमी की एक बड़ी वजह यह है कि इसके साथ अधिकांश डिडक्शंस का फायदा नहीं लिया जा सकता है। केवल कुछ ही डिडक्शन, नई आयकर व्यवस्था के साथ मौजूद हैं। वहीं पुरानी आयकर व्यवस्था के साथ सेक्शन 80C समेत तमाम सेक्शंस के तहत कई तरह के डिडक्शंस मौजूद हैं। यह पुरानी व्यवस्था में बने रहने के लिए प्रोत्साहन का काम करता है।
मयंक मोहनका कहते हैं कि आज के समय में किराए पर घर लेना एक बुनियादी जरूरत है। अगर नई आयकर व्यवस्था के साथ हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की इजाजत दी जाती है, तो पुरानी आयकर व्यवस्था से चिपके हुए 70 प्रतिशत से अधिक टैक्सपेयर नई व्यवस्था में चले जाएंगे। इसलिए सरकार को न्यूनतम छूट व्यवस्था के तहत या तो HRA या होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन क्लेम करने की अनुमति नई आयकर व्यवस्था के साथ देनी चाहिए।
इक्विटी LTCG टैक्स लिमिट को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख किया जाए
वित्त वर्ष 2018-19 से, इक्विटी शेयरों या म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री पर एक वर्ष में हासिल हुए 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगता है। पंकज मठपाल का कहना है कि यह थ्रेसहोल्ड निर्धारित किए हुए 6 साल हो गए हैं। सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने पर विचार कर सकती है।