Budget 2024 : निर्मला सीतारमण को अंतरिम बजट के लिए मनीकंट्रोल की सलाह

Interim Budget 2024 : मनीकंट्रोल के एडिटर्स और एक्सपर्ट्स ने अंतरिम बजट के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को खास सलाह दी है। इसमें इनकम टैक्स, कैपिटल गेंस टैक्स, फिस्कल डेफिसिट सहित इकोनॉमी से जुड़े कई अहम मसलों को लेकर सलाह शामिल है। इन पर अमल से एक तरह जहां आम आदमी की जिंदगी आसान होगी वहीं दूसरी तरफ इकोनॉमी की गोथ तेज बनी रहेगी

अपडेटेड Jan 24, 2024 पर 1:33 PM
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Union Budget 2024 : मनीकंट्रोल का मानना है कि सरकार को इनफ्लेशन को ध्यान में रख इनकम टैक्स की नई और पुरानी दोनों ही रीजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाने की जरूरत है।

Union Budget 2024वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने 2023 से 2026 के दौरान इंडिया का ग्रोथ रेट 6.3-6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। पिछले कुछ सालों के ग्रोथ रेट को देखने पर यह सामान्य लगता है। हालांकि, इस ग्रोथ रेट के साथ भी इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी होगी। इससे दुनिया पर इसका असर भी बढ़ेगा। इंडियन इकोनॉमी की तेज ग्रोथ में कई चीजों का हाथ है। इनमें पूंजीगत खर्च पर फोकस प्रमुख है। सरकार का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर निवेश बढ़ाने से बड़े आर्थिक फायदे होंगे। इसके साथ परिवारों की खर्च करने की बढ़ती क्षमता से इंडिया मुश्किल समय में ग्लोबल इकोनॉमी में बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम होगा। देशी और विदेशी निवेशकों के लिए इंडिया का आकर्षण बनाए रखने के लिए सरकार के लिए अनुकूल पॉलिसी इनवायरमेंट बनाना एक बड़ा चैलेंज है। न्यूज, इनसाइट्स, फाइनेंस, मार्केट्स और इकोनॉमी से जुड़ी जानकारियों और डेटा के लिए मनीकंट्रोल इंडिया का प्रमुख डिजिटल प्लेटफॉर्म है।

इस डॉक्युमेंट का मकसद यूनियन बजट (Union Budget) से पहले सरकार की पॉलिसी से जुड़ी चर्चा में योगदान करना है। इसमें फिस्कल, पब्लिक फाइनेंस और पॉलिसी से जुड़ी सलाह शामिल होंगी, जिन्हें हमारे एडिटर्स और एक्सपर्ट्स पॉलिसीमेकर्स के ध्यान में लाना जरूरी समझते हैं।

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इनकम टैक्स

-इनकम टैक्स की नई रीजीम कम टैक्स रेट के साथ इंडिविजुअल पर टैक्स का बोझ घटाने का एक रास्ता है।

-पिछले साल नई रीजीम के टैक्स रेट्स और स्लैब में बदलाव किए गए थे, सैलरीड टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स के लिए 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू किया गया था और 7 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स रिबेट दिया गया था। इनफ्लेशन को ध्यान में रख नई और पुरानी दोनों ही रीजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाए जाने की जरूरत है।

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-नई टैक्स रीजीम में तब तक टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी होने की उम्मीद नहीं है जब तक पुरानी टैक्स रीजीम का आकर्षण घटाया नहीं जाता। इसके लिए नई रीजीम में ज्यादा स्लैब, कम टैक्स और कुछ एग्जेम्प्शंस होने चाहिए।

-यह बजट 2020 से जारी दोहरे स्ट्रक्चर की जगह एक आसान इनकम टैक्स स्लैब और रेट स्ट्रक्चर शुरू करने का मौका हो सकता है।

कैपिटल गेंस टैक्स

-चल और अचल संपत्ति को बेचने पर हुए मुनाफे पर कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। एसेट कितने समय तक रखा जाता है, इसके आधार पर मुनाफे पर लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाया जाता है।

-रियल एस्टेट, इक्विटी इनवेस्टमेंट्स, डेट इंस्ट्रूमेंट्स और म्यूचुअल फंड्स जैसे अलग-अलग एसेट क्लास पर कैपिटल गेंस के अलग-अलग रेट्स हैं। इसके अलावा होल्डिंग पीरियड और मैच्योरिटी के आधार पर एक ही एसेट क्लास में कैपिटल गेंस टैक्स में अंतर हो सकता है।

-अंतरिम बजट (Interim Budget) 2024-25 में कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को आसान बनाने का मौका है।

-शुरुआत में सरकार को सभी फाइनेंशियल एसेट्स के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) के वास्ते होल्डिंग पीरियड को एकसमान बनाने की जरूरत है। इन एसेट्स में लिस्टेड और अनलिस्टेड सिक्योरिटीज, यूनिट्स ऑफ म्यूचुअल फंड्स, आरईआईटी/आईएवीआईटी के यूनिट्स शामिल हैं। इनके लिए होल्डिंग पीरियड 12 महीने किया जा सकता है।

STT और डिविडेंड पर डबल टैक्सेशन

-सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) को पूरी तरह के खत्म किया जा सकता है या कैश मार्केट के लिए इसके रेट में कमी की जा सकती है।

-एसटीटी की शुरुआत 2004 में हुई थी। कई तरह के सिक्योरिटी से जुड़े ट्रांजेक्शन पर यह लगता है। मार्केट में पार्टिसिपेशन बढ़ने से एसटीटी के जरिए सरकार का टैक्स कलेकशन बढ़ा है।

-अभी, डिविडेंड लेने वाले को उस पर टैक्स चुकाना पड़ता है। इससे डिविडेंड पर दोहरा टैक्स लगता है, क्योंकि कंपनी पहले ही अपने प्रॉफिट पर टैक्स चुका होती है। इस कमी को दूर करने की जरूरत है।

गवर्नमेंट फाइनेंस

-पब्लिक इनवेस्टमेंट की अगले साल भी ग्रोथ में बड़ा रोल होगा, इसके साथ ही फिस्कल कंसॉलिडेशन की कोशिश होनी चाहिए।

-अब कोरोना की महामारी और लॉकडाउन के असर से हम उबर चुके हैं और टैक्स कलेक्शन बजट अनुमान से काफी ज्यादा रहा है। ऐसे में अगले वित्त वर्ष के बजट में सरकार की वित्तीय सेहत को बेहतर करने की कोशिश शुरू करने की जरूरत है।

-वित्त वर्ष 2025-26 तक मीडियम टर्म में फिस्कल डेफिसिट के जीडीपी के 4.5 फीसदी का लक्ष्य हासिल करने के लिए इसे अभी 5.8 फीसदी और 6 फीसदी रखना होगा।

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