Budget 2024 : एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) का मानना है कि डेट म्यूचुअल फंड के टैक्स के नियमों में जो बदलाव किया गया था, उसे सरकार को वापस ले लेना चाहिए। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman ने पिछले साल 1 फरवरी को पेश बजट (Union Budget) म्यूचुअल फंड की डेट स्कीमों के कैपिटल गेंस के नियमों में बदलाव का ऐलान किया था। एएमसी कंपनियों का कहना है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में सरकार को उसे वापस लेने का ऐलान करना चाहिए। इस बदलाव से म्यूचुअल फंड की डेट स्कीमों के निवेशकों को झटका लगा था। म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। दिसंबर 2023 में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 50 लाख करोड़ के पार हो गया है। अब जीडीपी-एयूएम का रेशियो करीब 15 फीसदी हो गया है। एक दशक पहले यह 7-8 फीसदी था।
बजट 2024 : पिछले साल टैक्स के नियमों में हुआ था बदलाव
24 मार्च, 2023 को फाइनेंस बिल में संशोधन हुआ था। इसके मुताबिक, म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम्स जो शेयरों में अपने एसेट्स का 35 फीसदी से कम इनवेस्ट करती हैं उन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस और इंडेक्सेशन का बेनेफिट्स नहीं मिलेगा। इसका मतलब यह है कि डेट म्यूचुअल फंड्स की स्कीम में आप अपना निवेश चाहे जितने साल बनाए रखें, उसे बेचने पर होने वाला मुनाफा आपकी इनकम में जोड़ दिया जाएगा। फिर उस पर आपके स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा। पहले नियम यह था कि अगर आप डेट म्यूचु्अल फंड की स्कीम अपना निवेश 3 साल से ज्यादा समय तक बनाए रखते हैं तो उस पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी के रेट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता था।
बजट 2024 : दूसरी कैटेगरी की स्कीमों पर भी पड़ा है असर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के डेट फंड के टैक्स के नियमों में बदलाव करने का असर इस कैटेगरी की स्कीमों पर पड़ा है। आदित्य बिड़ला सनलाइफ एएमसी के सीआईओ महेश पाटिल ने कहा कि टैक्स के नियमों में बदलाव के बाद से फिक्स्ड-इनकम म्यूचुअल फंड्स में निवेश घटा है। डेट फंडों के टैक्स के नियमों में बदलाव का असर दूसरी कैटेगरी की स्कीमों पर भी पड़ा है। इसमें गोल्ड फंड, इंटरनेशनल फंड्स, फंड्स ऑफ फंड्स सहित ऐसी स्कीम स्कीम शामिल हैं, जो शेयरों में 35 फीसदी से कम इनवेस्ट करती हैं।
बजट 2024 : यूलिप और म्यूचुअल फंड के नियम एक समान होने चाहिए
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को म्यूचुअल फंड्स में निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके लिए म्यूचुअल फंड्स और ULIPs के टैक्स के नियमों के बीच के अंतर को खत्म करना होगा। अभी ULIPs का सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से कम होने पर उसके रिटर्न पर टैक्स नहीं लगता है। चूंकि यूलिप मुख्य रूप से एक इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है, इसलिए इसके और म्यूचुअल फंड्स के टैक्स के नियमों में फर्क खत्म होना चाहिए।