Union Budget 2024: अंतरिम बजट (Interim Budget) उम्मीद के मुताबिक रहा। इसमें इकोनॉमी की सेहत के बारे में कुछ दिलचस्प डेटा हैं। कॉर्पोरेट टैक्स और इनकम टैक्स दोनों में ग्रोथ बजट के अनुमान से ज्यादा रही। नॉन-टैक्स रेवेन्यू बढ़ा है, जिसमें RBI और सरकारी कंपनियों से मिला ज्यादा डिविडेंड है। जहां तक खर्च का सवाल है तो सरकार का पूंजीगत खर्च का टारगेट पूरा होता दिख रहा है। कुल खर्च सब्सिडी की वजह से थोड़ा ज्यादा रह सकता है। सबसे अहम यह है कि सरकार फिस्कल डेफिसिट को 5.8 फीसदी तक रखने में सफल रही है। पिछले साल के बजट में इसके लिए 5.9 फीसदी का टारगेट था। सरकार का कर्ज बजट अनुमान से कम रहा।
टैक्स क्लेक्शन उम्मीद से ज्यादा रहने की उम्मीद
साल दर साल सरकार के खर्च की क्वालिटी अच्छी हो रही है। कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि टैक्स के डेटा के अनुमान कम तय किए गए हैं। अप्रैल में टैक्स कलेक्शन के फाइनल डेटा आने पर इसमें अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी। इसकी वजह यह है कि कंपनियों का प्रॉफिट ऑल-टाइम हाई पर होने से कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ा है। 7 जनवरी तक इंडिविजुअल टैक्स 20 फीसदी तक बढ़ा है।
10.5 फीसदी नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ की उम्मीद
इस बात की काफी उम्मीद है कि ग्रॉस टैक्स कलेक्शन बजट अनुमान से ज्यादा रहेगा। पिछले साल भी ग्रॉस टैक्स क्लेक्शन बजट के संशोधित अनुमान से ज्यादा था। अगले साल के सरकार के टैक्स क्लेक्शन का अनुमान कम रहने की उम्मीद है। बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। इस वित्त वर्ष में डब्ल्यूपीआई इनफ्लेशन के डेटा में बदलाव की वजह से यह करीब 9 फीसदी रह सकता है।
टैक्स कलेक्शन से अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ और रोजगार के नए मौके बनने के बारे में पता चलता है। इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स पेमेंट का सीधा संबंध टैक्सपेयर्स की इनकम और कंपनियों के प्रॉफिट से है। वित्त वर्ष 2022-23 में कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन 10.04 लाख करोड़ था। 25 फीसदी टैक्स रेट के अनुमान से टैक्स से पहले का प्रॉफिट 40 लाख करोड़ रुपये था। यह 272 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी का करीब 15 फीसदी है। इस वित्त वर्ष में कंपनियों का प्रॉफिट पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है।
सरकार की कर्ज पर निर्भरता घट सकती है
ईपीएफओ के आंकड़ों से ज्यादातर सेक्टर में रोजगार के नए मौके बनने के संकेत मिले हैं। इसलिए K-Shaped इकोनॉमिक रिकवरी का बात सही नहीं लगती। उधर, अगले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का 5.1 फीसदी का अनुमान चौंकाने वाला है। इससे अगले वित्त वर्ष में सरकार की कुल उधारी (borrowing) इस वित्त वर्ष के मुकाबले कम रहने की उम्मीद है। सरकार की उधारी कम रहने पर इंटरेस्ट रेट में कमी आ सकती है। इससे प्राइवेट सेक्टर के लिए इनवेस्टमेंट के वास्ते पूंजी हासिल करने में आसानी होगी।
रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए अच्छी स्कीम
रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए 50 साल के लोन की स्कीम एक अच्छा ऐलान है। यह लोन जीरो इंटरेस्ट रेट पर मिलेगा। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव है। हालांकि, इस बारे में अभी डिटेल नहीं आई है। पहले नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये के फंड की बात कही गई थी। लेकिन, अभी इसकी शुरुआत नहीं हुई है। सरकार को अपने वादों को पूरे करने पर फोकस करना चाहिए। कुल मिलाकर अंतरिम बजट पूरी तरह से अंतरिम बजट है।
मोहनदास पई, चेयरमैन, आरियन कैपिटल पार्टनर्स (यहां पेश विचार लेखक के अपने विचार हैं। ये इस पब्लिकेशन के विचार नहीं हैं)