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Budget 2024 : सरकार ने किस साल पेश किया था 'ब्लैक बजट', क्या है इसका मतलब?

Budget 2024 : इंडिया का एकमात्र ब्लैक बजट पूर्व वित्तमंत्री यशवंतराव बी च्वहाण ने पेश किया था। तब देश में कांग्रेस की सरकार थी। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। यह बजट इसलिए पेश करना पड़ा क्योंकि तब सरकार का खर्च बहुत ज्यादा हो गया था। दरअसल, 1971 के आखिर में भारत को युद्ध का सामना करना पड़ा था

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 18, 2023 पर 4:57 PM
Budget 2024 : सरकार ने किस साल पेश किया था 'ब्लैक बजट', क्या है इसका मतलब?
Budget 2024 : 1973 में इंदिरा गांधी की सरकार ने कई बड़े आर्थिक फैसले लिए थे। उन्होंने कोयले की खानों का राष्ट्रीयकरण किया था। इसके लिए 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। सरकार के कोयले की खानों का राष्ट्रीयकरण करने से नुकसान उठाना पड़ा।

Budget 2024 : सरकार का खर्च हर बजट में बढ़ता है। इसकी कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह नए प्रोजेक्ट्स और स्कीम पर सरकार का खर्च है। ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने के साथ ही सरकार कई तरह के पूंजीगत खर्च करती है। इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने में यह मददगार होता है। लेकिन, जब सरकार का खर्च एक सीमा से ज्यादा होता है तो उसके लिए नई स्कीम, प्लान, इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना मुमकिन नहीं रह जाता है। तब सरकार ब्लैक बजट (Black Budget) पेश करती है। इंडिया में एक बार सरकार ब्लैक बजट पेश करने को मजबूर हुई है। यह बजट 1973 में पेश किया गया था। यह वित्त वर्ष 1973-74 का यूनियन बजट था। आखिर केंद्र सरकार को क्यों इस बजट को पेश करने को मजबूर होना पड़। इसे किस वित्त मंत्री ने पेश किया था? तब केंद्र में किसकी सरकार थी? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

किस वित्त मंत्री ने पेश किया था ब्लैक बजट?

इंडिया का एकमात्र ब्लैक बजट पूर्व वित्तमंत्री यशवंतराव बी च्वहाण ने पेश किया था। तब देश में कांग्रेस की सरकार थी। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। यह बजट इसलिए पेश करना पड़ा क्योंकि तब सरकार का खर्च बहुत ज्यादा हो गया था। दरअसल, 1971 के आखिर में भारत को युद्ध का सामना करना पड़ा था। हालांकि, पाकिस्तान को कुछ ही हफ्तों में इंडिया ने पूर्वी पाकिस्तान से जाने को मजबूर कर दिया था। लेकिन, इसमें काफी पैसा खर्च हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हर कीमत को पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने का हुक्म सेना को दिया था। उसके बाद पड़े सूखे ने इंडिया की आर्थिक स्थिति और खराब कर दी थी।

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