बजट 2023-24: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ मध्यम वर्ग को देने का ऐलान कर सकती हैं निर्मला सीतारमण

बजट 2023-24: अभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को PMJAY का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत एक परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक निःशुल्क स्वास्थ्य-बीमा की सुविधा मिलती है। यह योजना साल 2018 में शुरू हुई थी

अपडेटेड Dec 15, 2022 पर 1:39 PM
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जन आरोग्य योजना पर लगभग चार वर्षों में अब तक सरकार 48,500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है ।

बजट 2023-24: मध्यम वर्ग को वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के अगले बजट (Budget 2023) में बड़ा तोहफा मिल सकता है। वित्त मंत्री प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) का दायरा बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। मध्यम वर्ग को भी इस योजना के तहत लाया जा सकता है। अभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत एक परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक निःशुल्क स्वास्थ्य-बीमा की सुविधा मिलती है। यह योजना साल 2018 में शुरू हुई थी। अब तक निर्धन वर्ग के 4,16,00,000 लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। मध्यम वर्ग को इसमें शामिल करने से सरकार का खर्च बढ़ेगा। इसलिए वित्तमंत्री को बजट में इसके लिए आवंटन बढ़ाना होगा।

PMJAY का दायरा बढ़ने से करोड़ों लोगों को मिलेगा बेहतर इलाज 

पीएम जन आरोग्य योजना के तहत मध्यम वर्ग को लाने से करोड़ों लोगों को फायदा होगा। दिन-ब-दिन इलाज पर होने वाला खर्च बढ़ रहा है। खासकर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना कम पैसे वाले लोगों के लिए मुमकिन नहीं रह गया है। परिवार की कुल बचत इलाज कराने पर खर्च हो जाती है। जन आयोग्य योजना के अंतर्गत लगभग 2000 प्रोसीजर्स के लिए कैशलैस इलाज की सुविधा मिलती है। इसमें डॉक्टर की फीस, पैथोलॉजी जांच, सर्जरी, अस्पताल में रूम के खर्चे आदि शामिल हैं।

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सरकार को पब्लिक हेल्थ सर्विससेज पर खर्च बढ़ाने की सलाह

विश्व बैंक के 2019 के आंकड़ों के अनुसार (पर्चेजिंग पावर पैरिटी) भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार प्रति व्यक्ति 69.2 डॉलर खर्च करती है, जबकि इसका ग्लोबल औसत 865.7 डॉलर है । चीन में सरकार प्रति व्यक्ति 492.7 डॉलर खर्च करती है । भारत सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में भी सरकार को अपनी जीडीपी का 2.5- 3% सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने की सिफारिश की गई है।

पिछले बजट में स्वास्थ्य के लिए 86,000 करोड़ रुपये आवंटित

जन आरोग्य योजना पर लगभग चार वर्षों में अब तक सरकार 48,500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है । मध्यम वर्ग के लिए भी इस योजना को लागू करने के लिए सरकार को इस मद पर अपना खर्च बढ़ाना होगा। अभी देश में जीडीपी का 2 प्रतिशत से भी कम खर्च स्वास्थ्य सुविधाओं पर होता है, जबकि इंडोनेशिया तथा चीन जैसे देश इस पर इंडिया से अधिक खर्च करते हैं । पिछले बजट में स्वास्थ्य के लिए 86,000 करोड़ का आबंटन किया गया था। यह उससे पिछले बजट में हुए 84,000 करोड़ आबंटन से अधिक था । इस बजट (2023-24) में स्वास्थ्य के लिए आबंटन में बड़ी बढ़ोतरी की जा सकती है । वित्त आयोग ने भी इसकी सिफारिश की है ।

फंड कहां से लाएगी सरकार?

स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च चूंकि 'रेवेन्यू खर्च' की श्रेणी में आता है, जिससे केंद्र सरकार इसे मुख्यतः अपनी 'रेवेन्यू आय' से पूरा करने का प्रयास करेगी। इस योजना को धरातल पर लागू करने का कार्य अपने अपने राज्यों में राज्य सरकारें करती हैं। इसलिए केंद्र सरकार राज्यों को सार्वजनिक स्वास्थ्य की सभी केंद्रीय योजनाओं पर खर्च के लिए दी जाने वाली कुल सहायता राशि बढ़ा सकती है। पिछले साल केंद्र सरकार ने राज्यों को इस मद में 47634 करोड़ की राशि दी थी । इस बजट में इस राशि में बढ़ोतरी के संकेत हैं ताकि जन आरोग्य योजना में मध्यम वर्ग को शामिल किया जा सके ।

(पारिजात सिन्हा आर्थिक एवं सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं । वे लेखक एवं मैनेजमेंट तथा लॉ कंसल्टेंट भी हैं)

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