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Economic Survey 2024: ग्रोथ FY25 में 6.5-7% रह सकती है, प्राइवेट सेक्टर के निवेश करने पर बढ़ेंगी नौकरियां

Economic Survey 2024: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई को वित्त वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे पेश किया। इसमें इस वित्त वर्ष में इकोनॉमिक ग्रोथ सुस्त पड़ने का अनुमान जताया गया है। रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को निवेश बढ़ाने की सलाह दी गई है

अपडेटेड Jul 22, 2024 पर 3:45 PM
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Economic Survey 2024: फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे में देश के एमएसएमई सेक्टर को ग्रोथ का इंजन बनाने की सलाह दी गई है।

फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 से 7 फीसदी रह सकती है। 22 जुलाई को पेश इकोनॉमिक सर्वे में यह अनुमान जताया गया है। यह जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ने का संकेत है। उधर, सस्ते आयात से प्राइवेट इनवेस्टमेंट पर असर पड़ने का भी खतरा है। इस सर्वे में सावधान रहने की जरूरत बताई गई है। यह कहा गया है कि पिछले तीन सालों में अच्छी ग्रोथ के बाद प्राइवेट कैपिटल फॉर्मेशन को लेकर सावधानी बढ़ सकती है। इसकी वजह उन देशों से सस्ते आयात का खतरा है, जहां क्षमता जरूरत से ज्यादा है। यह चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन का पहला आर्थिक सर्वे है।

पूंजीगत खर्च पर फोकस बनाए रखना  होगा

यूनियन बजट से एक दिन पहले आए इस सर्वे में इनवेस्टमेंट पर फोकस बढ़ाने की जरूरत बताई गई है। सरकार का फोकस निवेश आधारित ग्रोथ पर रहा है। इस साल 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल एक्सपेंडिचर FY25 में 11.1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया था। यह FY2023-24 के मुकाबले 11.1 फीसदी ज्यादा है। पिछले कुछ सालों में सरकार का पूंजीगत खर्च काफी बढ़ा है। यह 2022-23 में 7.5 लाख करोड़ रुपये से 33 फीसदी बढ़कर 2023-24 में 10 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया था।


अब प्राइवेट सेक्टर को पूंजीगत खर्च बढ़ाना होगा

हाईवेज और पोर्ट्स से जुड़े प्रोजेक्ट्स पूरे होने में लंबा समय लगता है। लेकिन, इनमें निवेश से रोजगार के मौके पैदा हो सकते हैं। इसका फायदा सीमेंट और स्टील जैसे दूसरे सेक्टर को भी मिलता है। इकोनॉमिक सर्वे में प्राइवेट सेक्टर को निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। सर्वे में कहा गया है कि पिछले कई सालों में कैपिटल फॉर्मेशन में पब्लिक इनवेस्टमेंट का बड़ा हाथ रहा है। अब प्राइवेट सेक्टर को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इकोनॉमी में इनवेस्टमेंट की रफ्तार बनाए रखनी चाहिए।

एमएसएमई को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी लानी होगी

इकोनॉमिक सर्वे में सरकार को कुछ बिजनेसेज से हटने की जरूरत बताई गई है। संभवत: यह आगे निजीकरण की प्रक्रिया बढ़ने का संकेत हो सकता है। सर्वे में कहा गया है कि हर साल लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना देश के लिए एक चैलेंज बना हुआ है। इसके लिए MSME को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी अपननानी होगी। छोटे उद्यमों के लिए पूंजी की कॉस्ट घटाने के उपाय करने होंगे। सर्वे में रोजगार के मौके पैदा करने में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

कृषि क्षेत्र में इनकम बढ़ाने वाली पॉलिसी पर फोकस

इकोनॉमिक सर्वे में न्यू एजुकेशन पॉलिसी के बारे में कहा गया है कि NEP 2020 में हायर एजुकेशन पर मार्केट के हिसाब से फोकस करने की जरूरत है। इस सर्वे में देश के कृषि क्षेत्र के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें कहा गया है कि कृषि के तरीकों और पॉलिसी मेकिंग में जड़ों की ओर लौटने पर जोर दिया गया है। इससे कृषि क्षेत्र में वैल्यू एडिशन बढ़ेगा और किसानों की इनकम में इजाफा होगा। इससे फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में रोजगार के मौके बढ़ेंगे।

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एमएसएमई सेक्टर ग्रोथ का इंजन बन सकता है

फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे में देश के एमएसएमई सेक्टर को ग्रोथ का इंजन बनाने की सलाद दी गई है। इसमें कहा गया है कि इस सेक्टर को सरकार की काफी ज्यादा मदद की जरूरत है। देश में करीब 6 करोड़ एमएसएमई हैं जो संगठित इकोनॉमी की जीवनरेखा है। इसका देश की जीडीपी में 45 फीसदी योगदान है। इस क्षेत्र में करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

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